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रिश्तों की समझ

4.7
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आजकल मुकेश की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं था ‌। पिछले छः सात सालों से सेल्समैन बनकर दर-दर की ठोकरें खा रहा था,रात दिन मेहनत करता था।उसी के परिणामस्वरूप उसे एक बड़ी कंपनी में मैनेजर के पद पर नई ...

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लेखक के बारे में
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सीमा जैन

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vinod Bala Sinha
    11 मार्च 2019
    पुरुष कितना स्वार्थी और कमजोर होता है।इस कहानी में नारी के चरित्र का सुंदर और सशक्त बर्णन किया है।
  • author
    prαtєєk pαnwαr
    13 जुलाई 2018
    एक स्त्री जितना बलिदान और प्रेम कर सकती हैं, उतना असंख्य पुरुष मिल कर भी नही कर सकते।।।
  • author
    प्रीति
    14 जुलाई 2018
    agar nayak ko marna hi tha to dusri ladki ki jindagi kyu barbad ki
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    Vinod Bala Sinha
    11 मार्च 2019
    पुरुष कितना स्वार्थी और कमजोर होता है।इस कहानी में नारी के चरित्र का सुंदर और सशक्त बर्णन किया है।
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    prαtєєk pαnwαr
    13 जुलाई 2018
    एक स्त्री जितना बलिदान और प्रेम कर सकती हैं, उतना असंख्य पुरुष मिल कर भी नही कर सकते।।।
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    प्रीति
    14 जुलाई 2018
    agar nayak ko marna hi tha to dusri ladki ki jindagi kyu barbad ki