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रिश्तें एक तरफा भ्रम

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नमस्कार दोस्तों, रिश्तों का भ्रम., आज का ये विषय हमारे दिल करीब से भी करीब है । वजह, बचपन ९-१० की उम्र में मम्मी का स्वर्गवास और तत्पश्चात १६-१७ की वर्ष में पापा का., और उसके बाद शुरू हुआ हमारे ...

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लेखक के बारे में

जी हम..... हमारी कानपुर की पैदाइश है और फिलहाल कानपुर में ही बहन के साथ रहते हैं वो क्या है न के मां-बाप जरा जल्दी गुज़र गए हमें अकेला छोड़ के इस जहां में । पढ़ाई बड़ी मुश्किल से बारहवीं तक कर पाएं पर हां पढ़ने में काफी अच्छे थे ऐसा हर कोई कहता है, हमें इतिहास, साधारण और सामाजिक ज्ञान और अंग्रेजी विषय बहुत ही पसंद रही है हमेशा । पहले बचपन के चार-पांच साल कानपुर, फिर थोड़ा पैतृक गांव सरना(आरा जिला, बिहार) और ग्वालियर, फिर जवान हुए संगम स्थल इलाहाबाद (प्रयागराज) , फिर पूर्ण जवानी भाई के पास ग्वालियर और अब यहां कानपुर में गुज़र रही है । सो कानपुर, ग्वालियर और इलाहाबाद (प्रयागराज) से हमारा रिश्ता काफी गहरा है । लगभग ग्यारह वर्ष की उम्र में मम्मी और सत्तरह की उम्र में पापाजी की मृत्यु हुई । मम्मी जी के स्वर्गवास के बाद पहली कविता मौसम के उपर लिखी थी हमने जिसकी दोस्त के मामा ने जम के तारीफ की थी । तब से कोशिश में हैं कुछ बेहतर के,, और कोशिश जारी है.. !? आज इतने वक्त पश्चात जब खुद को अकेला पाते हैं तो मम्मी पापा जी की बहुत याद आती है और अहसास होता है की मां बाप क्या होते है ..!?. खुद को शेर सिंह तो नहीं कहेंगे पर डरते किसी के बाप से नहीं, उसूल, नियम-कानून और वचन के पक्के और सच्चे बचपन से ही है अपनी स्वाभिमानी और महत्त्वाकांछी प्रवृत्ति के कारण थोड़े विचित्र स्वभाव में गिनती आ जाती है । या यूं कहें के तनिक बाग़ी प्रवृत्ति का है मन. . !i धार्मिक हैं पर अंधविस्वासी नहीं । लिखने के अतिरिक्त टीवी पे रियलिटी शो, काॅमेडी और संस्पेंस थ्रिलर देखना, बच्चों और जानवरों के साथ खेलना बेहद पसंद, किस्मत वाले नहीं मेहनत और दिमाग वाले खेल । गीत गाना और सुनना और बनाना भी पसंद है और तो और मुखबांसुरी (सीटी) द्वारा कोई भी गीत गवा लिजिए आप हमसे । "खुली किताब हैं ये मन. . ,, बंद पन्नों में सिमटा हुआ. ." तो ये हैं हम.,

समीक्षा
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  • author
    विभा यादव
    21 মে 2020
    बिल्कुल सत्य वचन कहा है ,,,,आपने कोई भी रिश्ता एकतरफा से नहीं निभाया जा सकता है,,,, दोनों ओर की कोशिश रहती है तभी वह आगे बढ़ता है👍👍👍👏👏👏
  • author
    Gudiya
    21 মে 2020
    रिश्तों की तो यही परिभाषा है हमेशा निभाने वाले ही अकेले रह जाते है, 🙁🙁🙁
  • author
    Miss Baliyan
    21 মে 2020
    Ji bilkul sahi kha aapnee
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    विभा यादव
    21 মে 2020
    बिल्कुल सत्य वचन कहा है ,,,,आपने कोई भी रिश्ता एकतरफा से नहीं निभाया जा सकता है,,,, दोनों ओर की कोशिश रहती है तभी वह आगे बढ़ता है👍👍👍👏👏👏
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    Gudiya
    21 মে 2020
    रिश्तों की तो यही परिभाषा है हमेशा निभाने वाले ही अकेले रह जाते है, 🙁🙁🙁
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    Miss Baliyan
    21 মে 2020
    Ji bilkul sahi kha aapnee