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रिश्ते

3.8
822

रिश्ते न जाने कहाँ खो गये हम मैं और तुम भी मैं हो गये जिंदगी की शाख से जुड़े थे जो फूल न जाने पतझड़ में क्यों खो गये अपने खुद में इतने उलझे कि खुद ही खुदा हो गये जरूरी न था मिलना फिर भी मिलते अब ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    14 जनवरी 2023
    रिश्तों में बढ़ती दूरियों की एहसास दिलाती बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति । हार्दिक साधुवाद
  • author
    Vinay Rajawat
    22 मई 2024
    good and real feeling
  • author
    Parveen Shaikh
    08 अक्टूबर 2023
    बहुत सुन्दर
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    14 जनवरी 2023
    रिश्तों में बढ़ती दूरियों की एहसास दिलाती बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति । हार्दिक साधुवाद
  • author
    Vinay Rajawat
    22 मई 2024
    good and real feeling
  • author
    Parveen Shaikh
    08 अक्टूबर 2023
    बहुत सुन्दर