मार्कण्डेय ऋषि का जन्म तो मात्र सोलह वर्ष कि आयु ही भाग्य में लेकर हुआ था, लेकिन भगवान भोले शंकर पर अपनी भक्ति और श्रद्धा के बल पर वे चिरंजीवी हो गए। महर्षि भृगु के परिवार में जन्में और भगवान शिव और ...
सच मे नतमस्तक नमन आपको जो आजकल के बच्चों को नहीं पता उस संस्कृति को रिसर्च करके उनके सामने लाना सच मे एक बहुत ही कठिन कार्य है सच मे आपकी कलम और संस्कृति के प्रति समर्पण की भावना दिखती है आपकी कहानी में। अब बात कहानी की की जाए तो मार्कण्डेय ऋषि की जन्म कथा से लेकर उनके गुणों की खान होने और शिव महिमा का बखान बहुत ही सुन्दर तरीके से किया है आपने। बहुत खूबसूरत लेखन ।
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बहुत ही उत्कृष्ट जानकारी आपने हम पाठकों तक पहुंचाई ऋषि मार्कंडेय जी के बारे में आपने जो लिखा बहुत ही बढ़िया 16 वर्ष आयु वाला बालक चिरायु होने की जो कथा है यह तो अद्भुत है आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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