स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा।
यही मेरा ध्येय है।जब इच्छा हुई।कल्पना ने उड़ान भरी और लेखनी शुरु।लिखना तभी संपन्न होता है जब रचना पूर्ण हो जाये।घंटा भर या दो-तीन घंटे लगातार।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आलेख,कवितायें,कथायें आदि प्रकाशित एवम् आकाशवाणी से प्रसारित।
सम्प्रति-कार्यक्रम अधिशासी,आकाशवाणी,दरभंगा।
चलभाष-9852230568.
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