नीना एक शिक्षित महिला। अंग्रेजी विषय में डाक्टेरट। शहर में पली बढ़ी लेकिन गांव में अपनी जड़ों से कभी दूर नहीं हुई। अंग्रेजी विषय में प्रोफेसर का पद 23 साल की उम्र में प्राप्त किया तो एक सपना पूरा ...
हृदयस्पर्शी रचना!!!!घर को बचाये रखने के लिए हद दर्जे की अमानुषिक अत्याचार सहती नीना को मेरा नमन।कहानी में एक बात साफ उभर के निकलती है कि घर गृहस्थी यदि सुदृढ़ है तो महिलाओं की सहनशीलता,धैर्य के आधार पर।नहीं तो घर को बिखरने में समय न लगे।लाज़वाब लेखन💐💐💐💐💐🙏
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माननीया सुश्री संतोष चाहर जी बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद।पूरी कहानी में छटपटाहट तथा जिजीविषा का संघर्ष व्याप्त है। अधिकांश घरों में तालमेल का ही माहौल बना रहता है।दो दिन शांति से बीतते हैं तो शेष सप्ताह कुढन और अन्तर्द्वन्दव में व्यतीत होता है। लेकिन गृहस्थी को बचाए रखने में गृहिणी की भूमिका प्रमुख रहती है। कहानी का संदेश हिम्मत और दृढ निश्चय से किसी को भी समर्थ बनने की प्रेरणा देता है। आप संवेदनशील शिक्षिका हैं, आपका कर्तव्य आपको अन्य लोगों का साहस बढाने और प्रगति पथ पर बढने को विवश करता है।जिसे आपने जिम्मेदारी से निभाया है।बधाई।
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behtreen kahani...apna ghar bachane ke liye neena ne sab atyachar sahe...lekin kabhi halaton se haar nhi mani....ye ek naari ki sahanshilta aur apne rishte ko bachye rakkhne ki iccha shakti.....bacchon ko bhi a
shikshit kiya...neelesh ne bina ruchi ke bhi apni padhai puri ki aur woh bhi sksham bana..ek aurat ke sangharsh ki bahut hi khoobsurat kahani likhi hai ma'am aapne
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