कशमीर की त्रासदी...परिस्थितियों ने एक देशप्रेमी को भी आंतक की भेंट चढ़ा दिया।बालक की मनोदशा...वह समझने में असमर्थ कि उसके पिता जो देशहित का गौरवपूर्ण कार्य करते है,उनका ऐसा हश्र...उसकी समझ से परे है।
अपने कार्य से प्रवक्ता होने के बावजूद भी समय निकालकर लेखन प्रवृत्ति की ओर अग्रसर हूँ। अपनी मातृभाषा से प्यार हैं और समय-समय पर अपनी रचना...अधिकतर कविताएँ लिखती हूँ ।अपने विद्वान पाठकों को अधिक समय नहीं दे पाती...पर प्रयास करती हूँ कि समय मिलने पर कविता,कहानी अवश्य प्रकाशित करूँ।
सारांश
अपने कार्य से प्रवक्ता होने के बावजूद भी समय निकालकर लेखन प्रवृत्ति की ओर अग्रसर हूँ। अपनी मातृभाषा से प्यार हैं और समय-समय पर अपनी रचना...अधिकतर कविताएँ लिखती हूँ ।अपने विद्वान पाठकों को अधिक समय नहीं दे पाती...पर प्रयास करती हूँ कि समय मिलने पर कविता,कहानी अवश्य प्रकाशित करूँ।
रिपोर्ट की समस्या
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