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रास्ता

4.2
667

रास्ते में सब जाते हैं पांव मेरे लड़खड़ाते हैं किसान रास्ता नहीं नापता नेता रास्ते पर दाँव लगाते हैं पत्नी रास्ता देखती है प्रेमिका रास्ते पर आँख बिछा देती है माँ रोज़ रास्ता देखती है पिता पैसे का ...

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लेखक के बारे में
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अरुण शीतांश

जन्म ०२.११.१९७२ शिक्षा -एम ए ( भूगोल व हिन्दी) एम लिब सांईस एल एल बी पी एच डी कविता संग्रह १ एक ऐसी दुनिया की तलाश में (वाणी प्र न दिल्ली) २ हर मिनट एक घटना है (बोधि प्र जयपुर) आलोचना ३ शब्द साक्षी हैं (यश पब्लि न दिल्ली) ४ संपादन वाली पुस्तकें पंचदीप (बोधि प्र ) ५. युवा कविता का जनतंत्र ( साहित्य संस्थान गाजियाबाद ) पत्रिका देशज नामक पत्रिका का संपादन संप्रति शिक्षण संस्थान में कार्यरत

समीक्षा
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  • author
    जाह्नवी सुमन
    15 अक्टूबर 2015
    vaah! kin kin raaston se guzar jaati hai zindgi!
  • author
    Anil Analhatu
    26 अक्टूबर 2015
    रास्ता के रूपक द्वारा मध्यवर्गीय जीवन की विडंबनाओं का अद्भुत आख्यान है यह कविता। रास्ता के रूपक मे कवि ने आज के समाज की क्रूरता और मूल्यहीनता को तार-तार  कर दिया है ........ मित्र रास्ते मे काट फेंकते हैं / मुझे और रास्ते को / कवि कहना चाहता है कि आज के मनुष्य ने अपना रास्ता खो दिया है ...दुनिया // बिन रास्ते कि हो गई  है //  लेकिन कवि ने आशा  का दामन नहीं छोड़ा है , उसे उम्मीद है कि कोई न कोई सही रास्ता बताएगा जरूर.... जहां भूलकर मिल जाएँ सभी ... बहुत बढ़िया कविता शीतांश भाई . 
  • author
    Ravindra Narayan Pahalwan
    11 अक्टूबर 2018
    रचनकार ने पाठक को मजबूर किया है वह अपना रास्ता चुने / एक सोच पैदा करने के लिए रचना पूरी तरह सफल / बधाई...
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    जाह्नवी सुमन
    15 अक्टूबर 2015
    vaah! kin kin raaston se guzar jaati hai zindgi!
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    Anil Analhatu
    26 अक्टूबर 2015
    रास्ता के रूपक द्वारा मध्यवर्गीय जीवन की विडंबनाओं का अद्भुत आख्यान है यह कविता। रास्ता के रूपक मे कवि ने आज के समाज की क्रूरता और मूल्यहीनता को तार-तार  कर दिया है ........ मित्र रास्ते मे काट फेंकते हैं / मुझे और रास्ते को / कवि कहना चाहता है कि आज के मनुष्य ने अपना रास्ता खो दिया है ...दुनिया // बिन रास्ते कि हो गई  है //  लेकिन कवि ने आशा  का दामन नहीं छोड़ा है , उसे उम्मीद है कि कोई न कोई सही रास्ता बताएगा जरूर.... जहां भूलकर मिल जाएँ सभी ... बहुत बढ़िया कविता शीतांश भाई . 
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    Ravindra Narayan Pahalwan
    11 अक्टूबर 2018
    रचनकार ने पाठक को मजबूर किया है वह अपना रास्ता चुने / एक सोच पैदा करने के लिए रचना पूरी तरह सफल / बधाई...