🌹चीन छीन देश का गुलाब ले गया ताशकंद में वतन का लाल सो गया मिट गयी सिंधुर चूड़ियाँ हुई मौन खिड़कियों से दो नयन निहारते रहें जीतने के बाद बाजी हारते गये चीन चीन देश का गुलाब ले गया ताशकंद में वतन का लाल ...
यह गीत कविवर आत्म प्रकाश शुक्ला जी के द्वारा लिखा गया है हमारे महान बलिदानी प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के ताशकंद में हुए समझौते के समय असामयिक निधन के अवसर पर और चीन के घात पर मिलाकर लिखी गई है कविता अद्भुत है।
प्रतिलिपि के मंच पर आदरणीय आत्म प्रकाश शुक्ल जी की इस रचना को प्रस्तुत करने के लिए आपको कोटिश: बधाई
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यह गीत कविवर आत्म प्रकाश शुक्ला जी के द्वारा लिखा गया है हमारे महान बलिदानी प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के ताशकंद में हुए समझौते के समय असामयिक निधन के अवसर पर और चीन के घात पर मिलाकर लिखी गई है कविता अद्भुत है।
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