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रंगो बाँझिन

4.1
16258

चौथा महीना चल रहा था तब भी कोई डॉक्टर को नहीं दिखाया गया था। पाँचवा महीना में एक सरकारी अस्पताल में कार्ड बनाया गया। डॉक्टर ने देखकर विटामिन और कितने दवाई लिखे जो उसके पति अस्पताल से मुफ्त में जो ...

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लेखक के बारे में

ना शोहरतों की ख्वाहिशें ना नफरतों की गुंजाइशें ना कोई गिला हैं ना कोई शिकवा बस जिंदगी तुझे जीने की आरज़ू है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    मंजू सिंह
    16 जून 2017
    कहानी अच्छी है , समाज का सच है |
  • author
    16 जून 2017
    marmik kahani apne samjh k sach ko ujagar kar diya yahi hota h nice
  • author
    मंजू शर्मा
    16 जून 2017
    wah behtreen rachna k liye badhai ho
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    मंजू सिंह
    16 जून 2017
    कहानी अच्छी है , समाज का सच है |
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    16 जून 2017
    marmik kahani apne samjh k sach ko ujagar kar diya yahi hota h nice
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    मंजू शर्मा
    16 जून 2017
    wah behtreen rachna k liye badhai ho