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रांगेय राघव और उनकी कहानी "गदल" - एक समीक्षा

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1715
लेख

रांगेय राघव जी की अत्यंत प्रसिद्ध कहानी गदल जो कि एक बहादुर ग्रामीण स्त्री "गदल" के आत्मनिर्णय,स्वाभिमान और गहन जिजीविषा की कहानी है और पढ़ने के बाद हमें भीतर तक झिंझोड़ कर रख देती है । उसी गदल पर ...

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लेखक के बारे में

शिक्षक, कवि ,लेखक , साहित्य से गहन प्रेम । शिक्षा-M.A.Ph.D.,NET,JRF. विषय-इतिहास, प्रिंसिपल, गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, शिकोहाबाद । समाज में फैली हुई विषमताएं, विडम्बनाएं बहुत परेशान करती हैं ।भावनाओं और विचारों की अभिवियक्ति के लिए लेखन । कहानी , कविता , लेख लिखना पसंद । कविता लेखन में ज्यादा रुचि ।सरिता, गृहशोभा, नारी शोभा, कादम्बिनी, दैनिक जागरण , अनेक साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित । इतिहास विषय पर दो किताबें 'अकबर का मकबरा' और 'पीजेंट मूवमेंट इन उत्तर-प्रदेश' प्रकाशित । तीन लघु उपन्यास 'ख़ौफ़, कॉन्ट्रेक्ट मैरिज,किसी दिन माँगेंगे सारे ज़वाब तुमसे' निखिल प्रकाशन आगरा से प्रकाशित । यू जी सी के मेज़र रिसर्च प्रोजेक्ट पर कार्य किया ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    डॉ रेनु सिंह
    11 दिसम्बर 2019
    रांगेय राघव का कब तक पुकारूं उपन्यास पढा है।गदल अभी पढ़ी है।बहुत ही अच्छी समीक्षा की है आपने गदल के चरित्र की।
  • author
    20 दिसम्बर 2018
    सर्वश्रेष्ठ रचना है । गदल। कब तक पुकारूं। मुद्दों का टीला।
  • author
    आनंद गौतम
    12 फ़रवरी 2019
    थोडी और बेहतर हो सकती है...
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    डॉ रेनु सिंह
    11 दिसम्बर 2019
    रांगेय राघव का कब तक पुकारूं उपन्यास पढा है।गदल अभी पढ़ी है।बहुत ही अच्छी समीक्षा की है आपने गदल के चरित्र की।
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    20 दिसम्बर 2018
    सर्वश्रेष्ठ रचना है । गदल। कब तक पुकारूं। मुद्दों का टीला।
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    आनंद गौतम
    12 फ़रवरी 2019
    थोडी और बेहतर हो सकती है...