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" रामू की घड़ी, चश्मदीद गवाह।,"

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"क़ातिल की घड़ी।"                   ("क्राइम फेस्टिवल विशेष") कहते है कि कातिल कितना भी शातिर हो पर मौका ए वारदात पर कुछ ना कुछ अपना निशान या सबूत छोड़ ही जाता है। रामू के साथ भी ...

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लेखक के बारे में
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Pushpa Hari Vaishnav

.सुबह सुबह

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ñâdëēm
    27 सितम्बर 2020
    वाह बेहतरीन कहानी सरिता के साथ बहुत गलत हुआ पहले तेज़ाब और फिर क़त्ल उफ़ कैसा समाज बनता जा रहा है क्राइम पेट्रोल देख कर तो लगता ही नहीं की ये सच्चाई है इतना खतरनाक की फ़िल्मी कहानियाँ भी पीछे छूट जाये आखिर में रामु का क्या होता है और कैसे पकड़ा जाता है इसका भी वर्णन करें 👏👏✍️✍️🙏🙏
  • author
    27 सितम्बर 2020
    बहुत अच्छी कहानी लिखी है आपने।
  • author
    27 सितम्बर 2020
    बहुत सुन्दर क हानी है आपकी एकदम से
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    Ñâdëēm
    27 सितम्बर 2020
    वाह बेहतरीन कहानी सरिता के साथ बहुत गलत हुआ पहले तेज़ाब और फिर क़त्ल उफ़ कैसा समाज बनता जा रहा है क्राइम पेट्रोल देख कर तो लगता ही नहीं की ये सच्चाई है इतना खतरनाक की फ़िल्मी कहानियाँ भी पीछे छूट जाये आखिर में रामु का क्या होता है और कैसे पकड़ा जाता है इसका भी वर्णन करें 👏👏✍️✍️🙏🙏
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    27 सितम्बर 2020
    बहुत अच्छी कहानी लिखी है आपने।
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    27 सितम्बर 2020
    बहुत सुन्दर क हानी है आपकी एकदम से