आज इन सांसारिक बंधनों को तोड़, जहां हमारी आशाओं की श्रंखला, मुक्त कर दे ,,और मेरा मन उड़ान भर सके दूर गगन की छांव में, एक पंछी की तरह। पंछियों की उड़ान मुझे आवारगी का ध्यान दिलाने की बजाय, याद ...
सेवा निवृत प्रधानाचार्य हूं। साहित्यिक अभिरुचि के कारण सन् २००० से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 'अहिंसा आज भी प्रासंगिक है' २५६ प्रष्ठ की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।
सारांश
सेवा निवृत प्रधानाचार्य हूं। साहित्यिक अभिरुचि के कारण सन् २००० से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 'अहिंसा आज भी प्रासंगिक है' २५६ प्रष्ठ की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या