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रमता जोगी बहता पानी

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आज इन सांसारिक बंधनों को तोड़, जहां हमारी आशाओं की श्रंखला, मुक्त कर दे ,,और मेरा मन उड़ान भर सके दूर गगन की छांव में, एक पंछी की तरह।     पंछियों की उड़ान मुझे आवारगी का ध्यान दिलाने की बजाय, याद ...

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लेखक के बारे में
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Bina Jain

सेवा निवृत प्रधानाचार्य हूं‌। साहित्यिक अभिरुचि के कारण सन् २००‌० से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 'अहिंसा आज भी प्रासंगिक है' २५६ प्रष्ठ की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Archana Tripathi
    02 ऑगस्ट 2020
    सही कहा आपने बहुत सुन्दर प्रस्तुति
  • author
    दीपक वर्मा "दीप"
    02 ऑगस्ट 2020
    बेहतरीन भावपूर्ण रचना है ।
  • author
    Savita Shridhar
    08 ऑगस्ट 2020
    अति सुंदर रचना
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  • author
    Archana Tripathi
    02 ऑगस्ट 2020
    सही कहा आपने बहुत सुन्दर प्रस्तुति
  • author
    दीपक वर्मा "दीप"
    02 ऑगस्ट 2020
    बेहतरीन भावपूर्ण रचना है ।
  • author
    Savita Shridhar
    08 ऑगस्ट 2020
    अति सुंदर रचना