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हिन्दी

रामलीला

4.6
11209

इधर एक मुद्दत से रामलीला देखने नहीं गया। बंदरों के भद्दे चेहरे लगाये,आधी टाँगों का पाजामा और काले रंग का ऊँचा कुरता पहने आदमियों को दौड़ते, हू-हू करते देख कर अब हँसी आती है; मजा नहीं आता। काशी की ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Savita Singh
    19 जनवरी 2019
    समाज की कड़वी सच्चाई को बयाँ करती बेहतरीन कहानी।
  • author
    Savita Ojha
    19 जनवरी 2019
    समाज का असली आईना दिखाती उम्दा रचना
  • author
    Jp Shrivastava
    26 मार्च 2021
    🌺🙏महान उपन्यास कार स्व. श्री प्रेमचंद की लघु रचना ,हृदय को गहरे तक छू गई जिन कलाकारों ने अथक परिश्रम कर ,रामलीला का मंचन किया ,उनकी उपेक्षा हृदय को पीडा दे गई.., प्रस्तुति के लिए धन्याति धन्य....🙏🌺
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    Savita Singh
    19 जनवरी 2019
    समाज की कड़वी सच्चाई को बयाँ करती बेहतरीन कहानी।
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    Savita Ojha
    19 जनवरी 2019
    समाज का असली आईना दिखाती उम्दा रचना
  • author
    Jp Shrivastava
    26 मार्च 2021
    🌺🙏महान उपन्यास कार स्व. श्री प्रेमचंद की लघु रचना ,हृदय को गहरे तक छू गई जिन कलाकारों ने अथक परिश्रम कर ,रामलीला का मंचन किया ,उनकी उपेक्षा हृदय को पीडा दे गई.., प्रस्तुति के लिए धन्याति धन्य....🙏🌺