pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

राक्षस

4.5
111233

मैं और मेरी पत्नी, हम बिस्तर थे, रात के दस बज रहे थे, तभी दरवाजे की घंटी बजी, पहली घंटी को हमने नेगलेक्ट कर दिया, लेकिन फिर जल्दी-जल्दी घंटी बजने लगी। ऐसे रोमांटिक मूड में बिस्तर से उठना किसे ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
विनीत शर्मा

पेशे से चिकित्सक, साहित्य में अज्ञानी। त्रुटियों के लिए स्पर्शक की क्षमा प्रार्थना 🙏🙏 . आपत्ति दर्ज करने या सुझाव के लिए आप मेरे फोन पर भी संपर्क साध सकते हैं। 9999656568

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ruchika Chauhan
    27 अगस्त 2020
    बहुत ही अच्छी रचना ।।।पर शायद हम भारतीय ,कहानियों में सुखद अंत चाहते हैं दुख तो जीवन में भरे ही पड़े हैं।इनसे ही थोड़ा सुकून मिलता है। अगर लड़की धोखा देती तो बुरा नहीं लगता परन्तु यहां तो दोस्त ने ही दुनिया उजाड़ दी
  • author
    Sonali Sharma "सोना"
    19 दिसम्बर 2019
    कुछ लोग होते है जो हमेशा खुश रहते है अपनी मुस्कान से सभी को खुश करते है लेकिन उनका दर्द कोई नहीं जानता।
  • author
    Saurabh Patel
    30 सितम्बर 2019
    meri bat ka bura mat manna, par agar ye kahani sacchi hai to aapne apne dost ko sabse bada dukh diya jo sayad puri umar unke sath raha; aur vo dard unko unke pyar se dur karne ka hai ; jindgi mai koi bhi kyo na aa jaye par sacche pyar ko koi bhi nhi bhula pata; ho sake to apne frd se mafi mang lena
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ruchika Chauhan
    27 अगस्त 2020
    बहुत ही अच्छी रचना ।।।पर शायद हम भारतीय ,कहानियों में सुखद अंत चाहते हैं दुख तो जीवन में भरे ही पड़े हैं।इनसे ही थोड़ा सुकून मिलता है। अगर लड़की धोखा देती तो बुरा नहीं लगता परन्तु यहां तो दोस्त ने ही दुनिया उजाड़ दी
  • author
    Sonali Sharma "सोना"
    19 दिसम्बर 2019
    कुछ लोग होते है जो हमेशा खुश रहते है अपनी मुस्कान से सभी को खुश करते है लेकिन उनका दर्द कोई नहीं जानता।
  • author
    Saurabh Patel
    30 सितम्बर 2019
    meri bat ka bura mat manna, par agar ye kahani sacchi hai to aapne apne dost ko sabse bada dukh diya jo sayad puri umar unke sath raha; aur vo dard unko unke pyar se dur karne ka hai ; jindgi mai koi bhi kyo na aa jaye par sacche pyar ko koi bhi nhi bhula pata; ho sake to apne frd se mafi mang lena