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राजीनामा

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समझौता दो पक्षों के बीच होने वाला राजीनामा है , जैसे शादी चाहे अरेंज हो या लव लेकिन सफल तभी मानी जाती है जब एक दूसरे की भावनाओं को सम्मान दिया जाता है । लेकिन ऐसा बहुत कम होता है बल्कि समझौते ...

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लेखक के बारे में
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Madhu Sethi

rajasthan me school lecturer rhi hu thoda bahut mn ke vicharo ko shbdo me pirone ki koshish kr rhi hu

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    BABITA MISHRA
    10 सितम्बर 2023
    समझौता शीर्षक पर लिखा यह लेख वास्तव में सच्चाई से अवगत कराने वाला है पहले के समय में हर हाल में औरतों को ही समझौता करना पड़ता था लेकिन आज के समय में दोनों पक्षों को मिलकर समझौता करना पड़ता है अगर ऐसा नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में तलाक की नौबत आ जाती है दूसरी तरफ अमर लाल कपूर और फिल्म निर्माता शांताराम के समझौते की भी एक अलग ही शर्त थी जो अपने काम में किसी प्रकार का समझौता मंजूर नहीं करते थे..दोनो उदाहरण तर्कपूर्ण हैं..👌👌👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹 आपकी लेखनी हमेशा की तरह सार्थक लाजवाब और कमाल है मैम..♥️♥️♥️💐💐💐🤗🤗🙏🙏🙏🙏 अंत का जोक बहुत ही मजेदार था....👌👌👌 इतनी भी कंजूसी कोई करता है भला..😂😂😂
  • author
    Soma Shukla
    12 सितम्बर 2023
    👌👌🌸🌹🪴👌👌बहुत खूबसूरत भावपूर्ण और सार्थक लेखन , , स्नेहपूर्वक और प्रसन्नतापूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए दोनों पक्षों को व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग करके साथ में राजीनामा करना होता है , , नहीं तो बात बिगड़ने में समय नहीं लगता है | भगवान श्रीराम जी और सुग्रीव जी का बहुत सुन्दर प्रसंग आपने साझा किया |वी शांताराम जी के सम्बंध में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी बताई साथ ही अभिनेता जितेंद्र के अभिनय की शुरुआत के विषय में भी पता चला , , शानदार लेखन , , प्रशंसनीय प्रस्तुतिकरण , , अंत में 👌👌😀😜लड़के ने वाकई कंजूस पिता का नुकसान कर दिया
  • author
    आशा रानी शरण
    10 सितम्बर 2023
    इस विषय का संपूर्ण लेख बहुत ही उत्तम बहुत बढ़िया लिखा आपने समझौता दोनों पक्षों को आपस में मिलकर करना पड़ता है और दोनों को उसका पालन करना पड़ता है नहीं तो आजकल रिश्ते भी अधिकतर तलाक में बदल जाते हैं बहुत सुंदर बहुत बढ़िया लिखा आपने। हर हाल में ज्यादातर औरतें को सभी परिवार में बहुत समझौता करना पड़ता है धन्यवाद नमस्कार मधु जी।
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    BABITA MISHRA
    10 सितम्बर 2023
    समझौता शीर्षक पर लिखा यह लेख वास्तव में सच्चाई से अवगत कराने वाला है पहले के समय में हर हाल में औरतों को ही समझौता करना पड़ता था लेकिन आज के समय में दोनों पक्षों को मिलकर समझौता करना पड़ता है अगर ऐसा नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में तलाक की नौबत आ जाती है दूसरी तरफ अमर लाल कपूर और फिल्म निर्माता शांताराम के समझौते की भी एक अलग ही शर्त थी जो अपने काम में किसी प्रकार का समझौता मंजूर नहीं करते थे..दोनो उदाहरण तर्कपूर्ण हैं..👌👌👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹 आपकी लेखनी हमेशा की तरह सार्थक लाजवाब और कमाल है मैम..♥️♥️♥️💐💐💐🤗🤗🙏🙏🙏🙏 अंत का जोक बहुत ही मजेदार था....👌👌👌 इतनी भी कंजूसी कोई करता है भला..😂😂😂
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    Soma Shukla
    12 सितम्बर 2023
    👌👌🌸🌹🪴👌👌बहुत खूबसूरत भावपूर्ण और सार्थक लेखन , , स्नेहपूर्वक और प्रसन्नतापूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए दोनों पक्षों को व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग करके साथ में राजीनामा करना होता है , , नहीं तो बात बिगड़ने में समय नहीं लगता है | भगवान श्रीराम जी और सुग्रीव जी का बहुत सुन्दर प्रसंग आपने साझा किया |वी शांताराम जी के सम्बंध में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी बताई साथ ही अभिनेता जितेंद्र के अभिनय की शुरुआत के विषय में भी पता चला , , शानदार लेखन , , प्रशंसनीय प्रस्तुतिकरण , , अंत में 👌👌😀😜लड़के ने वाकई कंजूस पिता का नुकसान कर दिया
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    आशा रानी शरण
    10 सितम्बर 2023
    इस विषय का संपूर्ण लेख बहुत ही उत्तम बहुत बढ़िया लिखा आपने समझौता दोनों पक्षों को आपस में मिलकर करना पड़ता है और दोनों को उसका पालन करना पड़ता है नहीं तो आजकल रिश्ते भी अधिकतर तलाक में बदल जाते हैं बहुत सुंदर बहुत बढ़िया लिखा आपने। हर हाल में ज्यादातर औरतें को सभी परिवार में बहुत समझौता करना पड़ता है धन्यवाद नमस्कार मधु जी।