समझौता दो पक्षों के बीच होने वाला राजीनामा है , जैसे शादी चाहे अरेंज हो या लव लेकिन सफल तभी मानी जाती है जब एक दूसरे की भावनाओं को सम्मान दिया जाता है । लेकिन ऐसा बहुत कम होता है बल्कि समझौते ...
समझौता शीर्षक पर लिखा यह लेख वास्तव में सच्चाई से अवगत कराने वाला है पहले के समय में हर हाल में औरतों को ही समझौता करना पड़ता था लेकिन आज के समय में दोनों पक्षों को मिलकर समझौता करना पड़ता है अगर ऐसा नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में तलाक की नौबत आ जाती है दूसरी तरफ अमर लाल कपूर और फिल्म निर्माता शांताराम के समझौते की भी एक अलग ही शर्त थी जो अपने काम में किसी प्रकार का समझौता मंजूर नहीं करते थे..दोनो उदाहरण तर्कपूर्ण हैं..👌👌👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹
आपकी लेखनी हमेशा की तरह सार्थक लाजवाब और कमाल है मैम..♥️♥️♥️💐💐💐🤗🤗🙏🙏🙏🙏
अंत का जोक बहुत ही मजेदार था....👌👌👌 इतनी भी कंजूसी कोई करता है भला..😂😂😂
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👌👌🌸🌹🪴👌👌बहुत खूबसूरत भावपूर्ण और सार्थक लेखन , , स्नेहपूर्वक और प्रसन्नतापूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए दोनों पक्षों को व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग करके साथ में राजीनामा करना होता है , , नहीं तो बात बिगड़ने में समय नहीं लगता है | भगवान श्रीराम जी और सुग्रीव जी का बहुत सुन्दर प्रसंग आपने साझा किया |वी शांताराम जी के सम्बंध में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी बताई साथ ही अभिनेता जितेंद्र के अभिनय की शुरुआत के विषय में भी पता चला , , शानदार लेखन , , प्रशंसनीय प्रस्तुतिकरण , , अंत में 👌👌😀😜लड़के ने वाकई कंजूस पिता का नुकसान कर दिया
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इस विषय का संपूर्ण लेख बहुत ही उत्तम बहुत बढ़िया लिखा आपने समझौता दोनों पक्षों को आपस में मिलकर करना पड़ता है और दोनों को उसका पालन करना पड़ता है नहीं तो आजकल रिश्ते भी अधिकतर तलाक में बदल जाते हैं बहुत सुंदर बहुत बढ़िया लिखा आपने। हर हाल में ज्यादातर औरतें को सभी परिवार में बहुत समझौता करना पड़ता है धन्यवाद नमस्कार मधु जी।
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