pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

राजा राम चन्द्र की जय

4.2
145

वो श्री राम थे।।

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
अश्क आशीष

चलो कुछ किस्से बदल के देख लें, जो सितारों की नदी है, उस ओर, बादलों के; वहाँ किसी के दुपट्टे को थाम कर अपने ख्वाबों वाली नाव का लंगर डाल लें। कुछ जो अश्क हैं बह चुके, अब तो मोती से बन चमकने लगे हैं मेरे सिरहने के साथ बहते समंदर में॥ तो इन को पिरो कर एक रूह के धागे में, उसके दुपट्टे में लपेट कर सौंप दें उसे॥ जो दुख है, उसे हास्य कर दें, और हँसाता है जहाँ को उसके अश्क पोंछ दें॥। आधी कतारें.... ©अश्क आशीष

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अभिधा शर्मा
    05 दिसम्बर 2018
    बढ़िया है... पर ऐसे लोग दुर्लभ ही हैं
  • author
    Bhasker Gautam
    05 दिसम्बर 2018
    प्रिय अनुज आशीष, मेरा दुर्भाग्य रहा कि मै रसूल साहब से नही मिल पाया सिर्फ कहानियों में ही सुना है
  • author
    Hitendra Kumar "परम_यशदा"
    11 मई 2019
    बहुत बढीया.... जयश्री राम....
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अभिधा शर्मा
    05 दिसम्बर 2018
    बढ़िया है... पर ऐसे लोग दुर्लभ ही हैं
  • author
    Bhasker Gautam
    05 दिसम्बर 2018
    प्रिय अनुज आशीष, मेरा दुर्भाग्य रहा कि मै रसूल साहब से नही मिल पाया सिर्फ कहानियों में ही सुना है
  • author
    Hitendra Kumar "परम_यशदा"
    11 मई 2019
    बहुत बढीया.... जयश्री राम....