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राजा और चींटी

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एक राजा बैठा था थका हारा देखा एक चींटी को पार करते दीवार जो चढ़ती और गिरती बार-बार आसान नहीं थी यह चढ़ाई... कठिन थी, दुष्कर थी, फिर भी चींटी को हरा ना पाई चींटी उठती और... बस, करती एक अंतिम और ...

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लेखक के बारे में
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Abhinav Bajpai
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    सुचिता बाजपेई
    18 मई 2020
    अत्यधिक प्रेरणादायक एवम् पढ़ने में सहज और सरल😊 धन्यवाद
  • author
    sethu vyas "Shree"
    19 मई 2020
    Just what I needed!!!! Superb Abhinav ji
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    सुचिता बाजपेई
    18 मई 2020
    अत्यधिक प्रेरणादायक एवम् पढ़ने में सहज और सरल😊 धन्यवाद
  • author
    sethu vyas "Shree"
    19 मई 2020
    Just what I needed!!!! Superb Abhinav ji