राज जाने क्या राज छुपा रखा है? टूटे शीशे के उसपार, बेजुबां ये लहू के छीटें , चीख चीख कर बता रहे हैं, छशायद बिन गूंजी किलकारी, शायद बिन आजादी बचपन, शायद बंदिश वाला यौवन, शायद टूटे ख्वाब और अरमान, ...
मैं क्या कहूं अपने विषय में,जब खुश होती हूं लिखती हूं।जब दुःखी होती हूं।जब हंसती हूं तब लिखती हूं,जब रोती हूं जब भी लिखती हूं।
मैं क्या कहूं अपने विषय में,जब खुश होती हूं लिखती हूं।जब दुःखी होती हूं।जब हंसती हूं तब लिखती हूं,जब रोती हूं जब भी लिखती हूं।
रिपोर्ट की समस्या
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