राज जाने क्या राज छुपा रखा है? टूटे शीशे के उसपार, बेजुबां ये लहू के छीटें , चीख चीख कर बता रहे हैं, छशायद बिन गूंजी किलकारी, शायद बिन आजादी बचपन, शायद बंदिश वाला यौवन, शायद टूटे ख्वाब और अरमान, ...
राज जाने क्या राज छुपा रखा है? टूटे शीशे के उसपार, बेजुबां ये लहू के छीटें , चीख चीख कर बता रहे हैं, छशायद बिन गूंजी किलकारी, शायद बिन आजादी बचपन, शायद बंदिश वाला यौवन, शायद टूटे ख्वाब और अरमान, ...