संवेदनाये मेरे बचपन से ही मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा रही हैं। छोटी छोटी बातों के अभिप्राय को समझना, विश्लेषण करना उन्हें शब्दों और चित्रों के जरिये स्वर देने की चेष्ठा ने उन्हें बाल्य्काल में ही एक लेखक और चित्रकार बना दिया था। मेरी पहली उपन्यास गुनहगार उस समय प्रकशित हुई थी जब मेरी उम्र महज़ 17 साल की थी। लेखन के प्रति आकर्षण मेरी प्रतिभा का नहीं अपितु स्वाभाव का हिस्सा था। अमूनन जिन घटनाओ को दिनचर्या का हिस्सा समझ व्यक्ति भुला देता है उन्ही घटनाओं में मैं अपनी कहानियों के क़िरदार ढूढता हूँ। अब तक लिखी उपन्यासों जैसे 'गुनहगार' में उन्होंने जहाँ एक ओर एक लड़की के पिता की मजबूरियाँ और इंसान की हैवानियत का जीवंत चित्रण किया है तो 'रागिनी - द स्कूल गर्ल' में उन्होंने 12 -13 की लड़कियों के किरदारों को 21वी शदी के समाज से ऐसा रिश्ता कायम कर दिया है कि समझना मुश्किल हो जाता है कि आप कोई कहानी पढ़ रहे हैं या अपने आस पास हो रही घटनाओं को जीवंत देख रहें हैं। 'मेरी अर्द्धांगिनी उसकी प्रेमिका' मेरी हाल ही में प्रकाशित उपन्यास है। जबकि लाल ग्रह जल्दी ही बाजार में आ जायेगी।, फिरहाल मैं हिन्दू द दंगा को लिखने में व्यस्त हूँ।
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