पढ़ों तुम,खूब पढ़ो क्योंकि किताबों में हुनर है बहते पानी में आग लगाने का। हाँ पढ़ो तुम दुनियाभर के तमाम साहित्य को, करो श्रृंगार भी साहित्य का क्योंकि इस साहित्यिक श्रृंगार में हुनर है बहुरूपियों को ऊँगलियों पर नचाने का। ✍✍अनुजाराकेश शर्मा ✍✍
सारांश
पढ़ों तुम,खूब पढ़ो क्योंकि किताबों में हुनर है बहते पानी में आग लगाने का। हाँ पढ़ो तुम दुनियाभर के तमाम साहित्य को, करो श्रृंगार भी साहित्य का क्योंकि इस साहित्यिक श्रृंगार में हुनर है बहुरूपियों को ऊँगलियों पर नचाने का। ✍✍अनुजाराकेश शर्मा ✍✍
सामाजिक यथार्थ को बहुत ही मार्मिक और सुंदर तरीके से कह गयी हो तुम। पौराणिक पात्रों के नाम को लेकर रची गयी कहानी। राधा हमेशा केशव की ही है। समाज उसे स्वीकृति दे या न दे।☺
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सामाजिक यथार्थ को बहुत ही मार्मिक और सुंदर तरीके से कह गयी हो तुम। पौराणिक पात्रों के नाम को लेकर रची गयी कहानी। राधा हमेशा केशव की ही है। समाज उसे स्वीकृति दे या न दे।☺
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