pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

** राधा बुआ **

4.6
117

**राधा बुआ**        सुबह आंख खुली तो घर मे कुछ हलचल सी थी।वह आम सुबह सी नहीं थी। 8-9 साल की उम्र में उतनी समझ भी नहीं थी। हम जिस घर में किराए पर रहते थे, उसी के भूतल पर मकान मालिक का खूब भर-पूरा ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Dr.Urmila Sharma

सहायक प्राध्यापक, अन्नदा कॉलेज, हज़ारीबाग।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    27 मई 2020
    राधा बुआ के माध्यम से आपने समाज की क्रूर सच्चाई को दर्शाया है। आधुनिकता का दम्भ भरने वाला यह समाज कुपुत्र को भी सम्पति में हिस्सा देता है किन्तु एक असहाय निर्धन पुत्री को उस सम्पत्ति में हिस्सेदार नहीं। कहानी बहुत अच्छी बन पड़ी है।
  • author
    सृष्टि शर्मा
    19 जून 2020
    एक कर्मठ और स्वाभिमानी स्त्री की सुंदर कहानी...
  • author
    Vishnu Jaipuria "Vishu"
    26 मई 2020
    किस्मत का ही खेल कहेंगे इसे भी। बेहतरीन रचना
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    27 मई 2020
    राधा बुआ के माध्यम से आपने समाज की क्रूर सच्चाई को दर्शाया है। आधुनिकता का दम्भ भरने वाला यह समाज कुपुत्र को भी सम्पति में हिस्सा देता है किन्तु एक असहाय निर्धन पुत्री को उस सम्पत्ति में हिस्सेदार नहीं। कहानी बहुत अच्छी बन पड़ी है।
  • author
    सृष्टि शर्मा
    19 जून 2020
    एक कर्मठ और स्वाभिमानी स्त्री की सुंदर कहानी...
  • author
    Vishnu Jaipuria "Vishu"
    26 मई 2020
    किस्मत का ही खेल कहेंगे इसे भी। बेहतरीन रचना