हर रोज़ खबर ऐसी जो दिल के पार हुई जाती है... देख देख मानवता शर्मसार हुई जाती है! जीतने को निकली जग को अपने घर को छोड़ कर हार गई सब, इज्ज़त तार तार हुई जाती है! कुछ लफ्ज़ याद आते हैं "तपन" के हिय में ...
कहीं भी लड़ाई झगड़ा हो अत्याचार महिलाओं पर ही होता है।गालियां भी माँ बहन को ही दी जाती है।मैं सोंचती हूँ जिस दिन महिलायें मिलकर अकेले पुरूष पर अत्याचार करना आरम्भ कर दे शायद मर्द को कुछ सीख मिलें। भय बिन होत न प्रीत ---ये मेरा व्यक्तिगत विचार है।
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कहीं भी लड़ाई झगड़ा हो अत्याचार महिलाओं पर ही होता है।गालियां भी माँ बहन को ही दी जाती है।मैं सोंचती हूँ जिस दिन महिलायें मिलकर अकेले पुरूष पर अत्याचार करना आरम्भ कर दे शायद मर्द को कुछ सीख मिलें। भय बिन होत न प्रीत ---ये मेरा व्यक्तिगत विचार है।
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