pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

रात और रास्ता

3.3
32962

दिसम्बर की सर्द रात हलकी हलकी बारिश हो रही थी आलोक ठण्ड मैं थीठुरता हुआ जल्दी जल्दी अपने कदम बड़ा रहा था आज ट्रेन लेट हो गई थी शाम के 5 बजे के बजाय रात १ बजे स्टेशन पर लगी थी उस छोटे से कसबे में ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
रीत शर्मा

मैं धन्यवाद देना चाहती हु पाठको का आपके विचार और प्रशंसा भरे शब्द हिम्मत बढ़ाते है और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करते है ! मैं क्षमाप्राथी हु कि आपके संदेशो का जवाब नहीं दे पाती - आप सब से निवेदन है कृपया कर के मुझे Twitter follow करे - @Romareet1 - हमारी बातचीत का माध्यम - इंतजार रहेगा

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sweta "एक पाठिका"
    09 ഫെബ്രുവരി 2018
    y tha kya??mahisasur ka ksba tha kya😂😂?sb bhoot hi the k raat m bn jate the?aalok ko v apne haath check krne chahie the...sayd wo v khur bn gya ho🤣
  • author
    10 നവംബര്‍ 2018
    इतनी गालियां सुनने को मिली इस राइटर को फिर भी एन्ड कंप्लीट नही किया। इससे बड़ी बकरा कहानी आज तक नही पढ़ी😀😂😁😁 5 मिनिट वेस्ट कर दिए मेरे,
  • author
    Mohit singh bhadoriya "Vasudev"
    13 ഫെബ്രുവരി 2019
    आपकी रचना अच्छी है कुछ लोग धेला भी लिखना नहीं जानते पर समीक्षा जरूर करेगें।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sweta "एक पाठिका"
    09 ഫെബ്രുവരി 2018
    y tha kya??mahisasur ka ksba tha kya😂😂?sb bhoot hi the k raat m bn jate the?aalok ko v apne haath check krne chahie the...sayd wo v khur bn gya ho🤣
  • author
    10 നവംബര്‍ 2018
    इतनी गालियां सुनने को मिली इस राइटर को फिर भी एन्ड कंप्लीट नही किया। इससे बड़ी बकरा कहानी आज तक नही पढ़ी😀😂😁😁 5 मिनिट वेस्ट कर दिए मेरे,
  • author
    Mohit singh bhadoriya "Vasudev"
    13 ഫെബ്രുവരി 2019
    आपकी रचना अच्छी है कुछ लोग धेला भी लिखना नहीं जानते पर समीक्षा जरूर करेगें।