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रात में स्टेशन

4.5
337

प्लैट्फॉर्म के अँधेरे कोने में पी कर फेक दी गई सिगरेट की तरह पड़ी स्त्री अब भी थोड़ी–थोड़ी जल रही है गुजर चुकीं रेलगाड़ियाँ .गुज़रनी थीं जितनी हो चुका कोलाहल . होना था जितना थका हुआ स्टेशन नींंद की घाटी ...

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लेखक के बारे में

जन्म: 8-8-1941, उज्जैन में सर जे.जे. कालेज मुम्बई से वास्तुकला में स्नातक छात्रकाल से ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित एवं आकाशवाणी इन्दौर-भोपाल से प्रसारित होती रही हैं. कृतियाँ: सदी के अंतिम दिनों में(काव्य संग्रह-1999) एक पत्ता थरथराता रहा(काव्य संग्रह-1999) गूंगी घंटियाँ(काव्य संग्रह-2002) चक्रवात सा घूमता है शून्य(काव्य संग्रह-2005) अंधी यात्रायें(काव्य संग्रह-2006) पत्थर में बंद आदमी(काव्य संग्रह-2010) धुंध और अंधकार(गद्य यात्रावृत- 2010) सूर्य गिरा है अभी अभी नीचे(काव्य संग्रह-2012) आवाज़ें अब नहीं आती(काव्य संग्रह-2012) उस रात चाँद खंडहर में मिला(काव्य संग्रह-प्रकाशनाधीन) अन्य रचनाकारों के साथ संगृहों में भागीदारी तिनका तिनका नीड- काव्य संगृह(2000) स्वर संगीत- काव्य संगृह(2000) द डुयेट- अंग्रेजी में अनुवादित कविताओं का संगृह(2004) दो आशियाना- हिन्दी उर्दू द्विभाषिक काव्य संगृह(2006) कविताओं का अंग्रेजी, उर्दू, जापानी, बांग्ला, मराठी में अनुवाद सम्मान/पुरस्कार: 'अंधी यात्रायें' पर 'राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त' पुरस्कार, 2008 'चक्रवात सा घूमता है शून्य' पर हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा 'साहित्यिक कृति सम्मान', 2005-06 'अंधी यात्रायें' पर 'अखिल भारतीय अम्बिकाप्रसाद दिव्य रजत अलंकरण' वर्ष 2007 के लिये 'अंधी यात्रायें' पर स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान, 2008-2009 'पत्थर में बंद आदमी' पर भारत-एशियाई साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा 'साहित्य सृजन सम्मान', 2010 'आवाज़ें अब नहीं आती' पर म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का 'सैय्यद अमीर अली मीर' पुरस्कार, 2012 संपर्क: राजेन्द्र नागदेव, डी के 2- 166/18, दानिशकुंज कोलार रोड, भोपाल- 462042 मोबाइल: 8989569036 दूरभाष: 0755-2411838

समीक्षा
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    Manjit Singh
    30 जून 2020
    shabdaavli pasand aayi. station ka khaka yani canvas bahut sundar
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    Manjit Singh
    30 जून 2020
    shabdaavli pasand aayi. station ka khaka yani canvas bahut sundar