pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

रात का डर

3.1
56717

उस रात जब विशाखा सोने गई तो नयी जगह होने की वजह से काफी देर तक उसे नींद ही नहीं आयी| ऊपर से उसके सारे दोस्त जो लड़के थे उनको शादी के घर में अलग से ठहरने को कमरा दिया था और खुद को बाकी औरतों के साथ ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
अज्ञात
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Amit Mishra
    29 जुलाई 2017
    प्रतिलिपि में कोई सेटिंग वेटिंग चलती है क्या जो ऐसी वाहियात कहानी सम्पादकीय चयनमे जगह पा गयी। बड़ी सेकुलर कहानी है हैदर हीरो बन गया वैभव खलनायक जैसे हर हिंदी फ़िल्म में ठाकुर खलनायक होता है और रहीम चाचा भले इंसान
  • author
    प्रियंका
    24 जुलाई 2020
    thakuro ko hi samajh me sabse kharab dikhaya jaata hai....kripa kr k ab to baksh de ...aap log...agar thakur aur unke purvaj n hote to sirf ek hi dharam hota es dharti pr.
  • author
    Indus Assam
    23 मार्च 2019
    यार कहानी लिखनी है तो ढंग से लिखना सीखो। कुछ भी उटपटांग डाल दो कहानी हो गई? कहानी के नाम पर अपनी कुंठा और बकवास सार्वजनिक न किया करें।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Amit Mishra
    29 जुलाई 2017
    प्रतिलिपि में कोई सेटिंग वेटिंग चलती है क्या जो ऐसी वाहियात कहानी सम्पादकीय चयनमे जगह पा गयी। बड़ी सेकुलर कहानी है हैदर हीरो बन गया वैभव खलनायक जैसे हर हिंदी फ़िल्म में ठाकुर खलनायक होता है और रहीम चाचा भले इंसान
  • author
    प्रियंका
    24 जुलाई 2020
    thakuro ko hi samajh me sabse kharab dikhaya jaata hai....kripa kr k ab to baksh de ...aap log...agar thakur aur unke purvaj n hote to sirf ek hi dharam hota es dharti pr.
  • author
    Indus Assam
    23 मार्च 2019
    यार कहानी लिखनी है तो ढंग से लिखना सीखो। कुछ भी उटपटांग डाल दो कहानी हो गई? कहानी के नाम पर अपनी कुंठा और बकवास सार्वजनिक न किया करें।