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रात

4.6
23

मैं हर रोज़ एक पूरी की पूरी रात पीता हूँ और कभी कभी आधी बुझा के रख छोड़ता हूँ मेरे कमरे में बिखरे मिलेंगे आधी जली रातों के बहुत टुकड़े तुम्हे । कभी किसी बीती रात की बात याद आये तो उसका अधजला टुकड़ा ...

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लेखक के बारे में
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Love Sharma

रूह ग़हरी उतर गई है कहीं , अँधे कुँए में । जिस्म को हसरत है , धूप और छाँव का लिबास होने की ...।

समीक्षा
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    Manish Dubey
    28 ജൂണ്‍ 2020
    बढ़िया 👍
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    Manish Dubey
    28 ജൂണ്‍ 2020
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