pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

रात भर मुझको ग़मे - यार ने सोने न दिया

4.5
915

रात भर मुझको ग़मे-यार ने सोने न दिया सुबह को खौफ़े-शबेतार ने सोने न दिया शमा की तरह मुझे रात कटी सूली पर चैन से यादेकदे-यार ने सोने न दिया ऐ दिलाज़ार! तू सोया किया आराम से रात मुझे पल भर भी दिलेज़ार ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मूल नाम : अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र उपनाम : बहादुर शाह ज़फ़र जन्म : 24 अक्टूबर 1775 देहावसान : 7 नवंबर 1862 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल बहादुर शाह ज़फ़र मुग़ल साम्राज्य के अंतिम सम्राट थे, और साथ ही ये उर्दू के एक मशहूर शायर भी रहे हैं, इनकी लिखी अधिकतर रचनायें अभी उपलब्ध नहीं हैं और ये माना जाता है की वो अंग्रेज़ों के साथ विद्रोह के समय या तो नष्ट हो गयीं अथवा इधर उधर खो गयीं, लेकिन फिर भी इनकी कुछ रचनायें अभी भी प्रसिद्ध हैं। भारतियों को अंग्रेज़ों के खिलाफ एक-जूट करने के लिये लिखी गयी ये पंक्तियाँ अभी भी मशहूर हैं: "हिंदिओं में बू रहेगी जब तलक ईमान की। तख्त ए लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की।।"

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विनीता मिश्रा
    03 ઓગસ્ટ 2019
    nice
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विनीता मिश्रा
    03 ઓગસ્ટ 2019
    nice