माँ और तीनों बहनों की हँसी अशोक ने बाहर से ही सुन ली| हमेशा की तरह इस बार भी हँसी उसे अचरज तथा रोष से भर गयी| रेल गाड़ियों के धुएं और धमाके के हर दूसरेपल पर डोल रहे इस क्वार्टर नंबरतेइसमें रह कर भी ...

प्रतिलिपिमाँ और तीनों बहनों की हँसी अशोक ने बाहर से ही सुन ली| हमेशा की तरह इस बार भी हँसी उसे अचरज तथा रोष से भर गयी| रेल गाड़ियों के धुएं और धमाके के हर दूसरेपल पर डोल रहे इस क्वार्टर नंबरतेइसमें रह कर भी ...