१. नैनो की मस्त मदिरा, मन में भरा उल्लास। यही समय अनुकूल है, प्रिया हमारे पास।। ।। २. तकता रहूं मैं तुम्हें, सारी सारी रात जैसे चंदा को तकता, वीरही पूरी रात।। ।। ३. तेरे नूपुर की झंकार, करें ...
सेवा निवृत प्रधानाचार्य हूं। साहित्यिक अभिरुचि के कारण सन् २००० से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 'अहिंसा आज भी प्रासंगिक है' २५६ प्रष्ठ की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।
सारांश
सेवा निवृत प्रधानाचार्य हूं। साहित्यिक अभिरुचि के कारण सन् २००० से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 'अहिंसा आज भी प्रासंगिक है' २५६ प्रष्ठ की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।
रिपोर्ट की समस्या
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