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प्यार के नाम

3.9
4638

चलो जो प्यार करते हैं उन्हें मारें उन्हें पीटें उन्हें क़दमों तले रौंदें उन्हें पामाल कर डालें अगर हों फूल हाथों में तो कांटे भी चुभायें हम वफ़ा का गीत गाते हों तो नफ़रत गुनगुनायें हम अगर दिल ...

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लेखक के बारे में

बहुमुखी प्रतिभा के धनि तहसीन मुनव्वर उर्दू के जाने माने साहित्यकार हैं. उनके शायरी के दो संग्रह ‘धूप चांदनी’ और ‘सहरा में शजर’ प्रकाशित हो चुके हैं. दिल्ली उर्दू अकादमी ने उनके कहानी संग्रह ‘मासूम’ के लिए 2004 में उन्हें पुरस्कृत किया था. वह उर्दू अकादमी दिल्ली की गवर्निग कौंसिल के सदस्य भी रहे हैं. उर्दू के अलावा कई भाषाओँ के ज्ञाता हैं तथा पंजाबी में भी शायरी करते हैं. इसके अलावा मीडिया सलाहकार के रूप में चार-चार केंद्रीय रेल मंत्रियों के साथ जुड़े रहे जिन में श्री लालू प्रसाद यादव और ममता बनेर्जी भी शामिल हैं. तहसीन मुनव्वर उर्दू समाचार वाचक और एंकर के रूप में आकाशवाणी और दूरदर्शन और ईटीवी से भी जुड़े रहे हैं. 1990 की दहाई में जब कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था उस समय दूरदर्शन पर समाचार वाचक के रूप में उन्हों ने सेवाएँ दी हैं. कई धारावाहिक लिखे हैं तथा अभिनय भी किया है. एक फीचर फिल्म के गीत भी इनके नाम हैं. देश विदेश में मुशायरों और कवि सम्मलेन में अपनी अलग छाप छोड़ते रहे हैं. रेडियो, टीवी और फिल्म के अलावा उर्दू व् हिंदी समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में विभिन विषयों पर उनके लेख तथा स्तंभ प्रकशित होते रहते हैं. एक उर्दू पाक्षिक समाचारपत्र ‘पर्वाना ए हिन्द’ का स्वयं प्रकाशन व संपादन भी करते हैं. देश के कई नामी पत्रकारिता विद्यालयों से भी जुड़े हैं.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    विकास कुमार
    13 फ़रवरी 2018
    बहुत सुंदर
  • author
    Nitish निर्जनता
    10 मई 2022
    Dilwale ko Dilwale hi Samajhta hai.
  • author
    01 मई 2022
    कबीर जैसी उलटबांसी है। अच्छा व्यंग्य।
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    विकास कुमार
    13 फ़रवरी 2018
    बहुत सुंदर
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    Nitish निर्जनता
    10 मई 2022
    Dilwale ko Dilwale hi Samajhta hai.
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    01 मई 2022
    कबीर जैसी उलटबांसी है। अच्छा व्यंग्य।