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लघुकथा .." प्यार "

3.8
9356

" बड़ा बहादुर निकला तू . अरे मूरख कम से कम उससे ये तो पूछ लेता कि माँ के घर जाकर क्या माँ को यह कहेगी कि माँ , मैं आपसे बेइंतहा प्यार करती हुँ और अब मैं तब तक आपके पास रहूंगी जब तक सीमा पर गुम हुए ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    मुकेश राम नागर
    16 जून 2018
    बहुत गहरी!वाह..👌👌
  • author
    हेमंत मोढ़ "Happy-Mentor"
    27 मई 2019
    मैने तुमसे ही नहीं सबसे ही नहीं, अपने देश के वीर सपूतों से भी प्यार किया है। कहानी वाकई शानदार हैं। कहानी "प्यार का एहसास" पढ़िएगा प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा। [email protected]
  • author
    Manoj Mahour
    15 नवम्बर 2020
    Mud to kisi ka kisi baat par bhi kharab ho sakta hai us me ghar jane ki baat kaha se agai
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    मुकेश राम नागर
    16 जून 2018
    बहुत गहरी!वाह..👌👌
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    हेमंत मोढ़ "Happy-Mentor"
    27 मई 2019
    मैने तुमसे ही नहीं सबसे ही नहीं, अपने देश के वीर सपूतों से भी प्यार किया है। कहानी वाकई शानदार हैं। कहानी "प्यार का एहसास" पढ़िएगा प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा। [email protected]
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    Manoj Mahour
    15 नवम्बर 2020
    Mud to kisi ka kisi baat par bhi kharab ho sakta hai us me ghar jane ki baat kaha se agai