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पुत्रवधु

4.6
8884

ट्रिंग,ट्रिंग,ट्रिंग। फोन की घंटी बजती है। फोन से आवाज आती है- हैलो, पिताजी मैं सुयश बोल रहा हूं। अब आपकी तबीयत कैसी हैं? आप दवा तो वक्त पर खाते हैं ना। और मां के घुटने का दर्द कैसा हैं? माता-पिता के ...

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लेखक के बारे में
author
Neha Sharma

✍लेखिका/कवयित्री/समीक्षक

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Gyanendra maddheshia Gyani
    25 जुन 2019
    वाह.... कहानी का मध्य भाग पढ़ कर दुख हुआ लेकिन अंत तक आते-2.....👌 एक खुशी मिली वो खुशी जो हर त्योहार पर अपनो के साथ बिताकर मिलती है।यही तो परिवार होता है।आपकी रचनात्मक क्षमता प्रबल है।
  • author
    Meharban Singh "Josan"
    14 मे 2021
    वाह बहुत खूब,,,,,👌👌 रिश्तों के महत्व को दर्शाती बहुत ही शानदार रचना,,,
  • author
    Meera Sajwan "मानवी"
    04 एप्रिल 2019
    छोटी-छोटी खुशियाँ थोड़ी सी समझदारी सेजीवन को खुशनुमा बना देती हैं।
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    Gyanendra maddheshia Gyani
    25 जुन 2019
    वाह.... कहानी का मध्य भाग पढ़ कर दुख हुआ लेकिन अंत तक आते-2.....👌 एक खुशी मिली वो खुशी जो हर त्योहार पर अपनो के साथ बिताकर मिलती है।यही तो परिवार होता है।आपकी रचनात्मक क्षमता प्रबल है।
  • author
    Meharban Singh "Josan"
    14 मे 2021
    वाह बहुत खूब,,,,,👌👌 रिश्तों के महत्व को दर्शाती बहुत ही शानदार रचना,,,
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    Meera Sajwan "मानवी"
    04 एप्रिल 2019
    छोटी-छोटी खुशियाँ थोड़ी सी समझदारी सेजीवन को खुशनुमा बना देती हैं।