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पुनर्जन्म के पार

3.8
267

कट कट जुड़ती रही नेहनाल अकेला न होने दिया कभी बारिश तो कभी धूप धरती देती रही छाया उगने भर भूमि । तुम्हारे पंख खोलने का स्वर बादलों में अब भी बजता है धूप में अब भी दिपता है वसंत को दिया तुम्हारा कंगन ...

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लेखक के बारे में

नाम : मनोज कुमार झा मूल स्थान : दरभंगा, बिहार शैक्षिक उपाधि : बी.ए. (गणित प्रतिष्ठा), एम. ए. (हिन्दी)

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    01 अगस्त 2020
    quite. good
  • author
    मल्हार
    03 जून 2020
    👌👌👌
  • author
    Sushil Shrivastav
    19 जनवरी 2019
    very nice
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    Manjit Singh
    01 अगस्त 2020
    quite. good
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    मल्हार
    03 जून 2020
    👌👌👌
  • author
    Sushil Shrivastav
    19 जनवरी 2019
    very nice