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पुरुष

4.4
1825

पुरूष, कहते हैं ना मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, कर्तव्यों​ से बन्धा हुआ, उसी समाज का एक हिस्सा है पुरुष, जिसके पास अपना कहने को कुछ रिश्ते और साथ देने को उनकी चाहते​, उसकी खुशी हां उसमें है जिसमें ...

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लेखक के बारे में
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खुशबू शर्मा

IG FB YT - Deep Poetic Heart

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    प्रवीण मन
    02 मई 2017
    आपने कहानी में वो सब कह दिया जो आज का खासकर मध्यमवर्गीय परिवार में होता आ रहा है जहाँ सब नारी की बात करते हैं वहीं आप नारी मन होकर पुरुष के अन्तर्मन की कोशिश के बाद की विवशताओं और मजबूरी को समझा. अनेक अनेक धन्यवाद
  • author
    ABHISHEK TEJWANI
    11 जून 2017
    Bohat sunder likha h apne.. Ek purosh pe.. Sare jazzbato ko bayana kiya h ek purosh K.
  • author
    Ratan Sharma
    25 अप्रैल 2017
    A beautiful beginning on the way of writing....it's really very soulful keep it उप
  • author
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  • कुल टिप्पणी
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    प्रवीण मन
    02 मई 2017
    आपने कहानी में वो सब कह दिया जो आज का खासकर मध्यमवर्गीय परिवार में होता आ रहा है जहाँ सब नारी की बात करते हैं वहीं आप नारी मन होकर पुरुष के अन्तर्मन की कोशिश के बाद की विवशताओं और मजबूरी को समझा. अनेक अनेक धन्यवाद
  • author
    ABHISHEK TEJWANI
    11 जून 2017
    Bohat sunder likha h apne.. Ek purosh pe.. Sare jazzbato ko bayana kiya h ek purosh K.
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    Ratan Sharma
    25 अप्रैल 2017
    A beautiful beginning on the way of writing....it's really very soulful keep it उप