“तुम अच्छी तरह से जानती हो कि मुझ पर कितनी ज़िम्मेदारियाँ हैं, इन सबको छोड़कर एम.बी.ए. करने के लिए कैसे चला जाऊँ?”– अदम्य सरिता के सुझाव से बिल्कुल सहमत नहीं था।
“यहाँ मैं तो हूँ न? यहाँ की सारी ...
पूर्णाहुति, अंदर तक हिल गया हूं पढ़कर तनूजा जी, सरिता जैसे कितने व्यक्तित्व हैं जो जीवन को पूरी निष्ठा और समर्पण से कर्तव्य की यज्ञाहुती में झौंक देते हैं लेकिन उन्हें अपने जीवन में किसी ना किसी अदम्य से दुत्कार ही प्राप्त होता है, सादर 🙏🏻🌹🙏🏻,
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पूर्णाहुति, अंदर तक हिल गया हूं पढ़कर तनूजा जी, सरिता जैसे कितने व्यक्तित्व हैं जो जीवन को पूरी निष्ठा और समर्पण से कर्तव्य की यज्ञाहुती में झौंक देते हैं लेकिन उन्हें अपने जीवन में किसी ना किसी अदम्य से दुत्कार ही प्राप्त होता है, सादर 🙏🏻🌹🙏🏻,
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