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पुराने जमाने।

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काश संस्कार भी  फैशन हो जाते । लोग सुंदर शरीर से ज्यादा सुंदर कर्मों को महत्व दे पाते। तन के कपड़े कम कर के आंचल को छोड़ करके पाश्चात्य सभ्यता का  अनुकरण करके क्या ज्यादा सम्मानित है होते ? फैशन ...

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Madhu Vashishta

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समीक्षा
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  • author
    Manju Pant
    01 मार्च 2021
    काश संस्कार भी फैशन हो पाते बहु सुंदर शब्द संरचना । जड़ों को छोड़ कर पेड़ कभी नहीं पनन सकता बहुत सुंदर तुलनात्मक विचार है ।हर पंक्ति लाजवाब है आपकी ,हर पंक्ति में कुछ-न-कुछ सार छुपा है । बेहतरीन सृजन है। 🙏🌹🙏
  • author
    Suresh Upadhyay
    02 मार्च 2021
    आदर सहित सादर प्रणाम है आप को प्यारी मम्मी जी। सनातन संस्कृति संस्कारों की जननी है। हम सभी भूल जा रहे हैं। यही गलत है। सादर प्रणाम है आप को प्यारी मम्मी जी। आप की बात सीख देती है।
  • author
    पवनेश मिश्रा
    02 मार्च 2021
    पुराने जमाने, पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति की तरफ़ अंधों की तरह दौड़ते समाज को बिलकुल सही तरह से आईना दिखाया है आपने आदरणीया, सादर 🙏🌹🙏,
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    Manju Pant
    01 मार्च 2021
    काश संस्कार भी फैशन हो पाते बहु सुंदर शब्द संरचना । जड़ों को छोड़ कर पेड़ कभी नहीं पनन सकता बहुत सुंदर तुलनात्मक विचार है ।हर पंक्ति लाजवाब है आपकी ,हर पंक्ति में कुछ-न-कुछ सार छुपा है । बेहतरीन सृजन है। 🙏🌹🙏
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    Suresh Upadhyay
    02 मार्च 2021
    आदर सहित सादर प्रणाम है आप को प्यारी मम्मी जी। सनातन संस्कृति संस्कारों की जननी है। हम सभी भूल जा रहे हैं। यही गलत है। सादर प्रणाम है आप को प्यारी मम्मी जी। आप की बात सीख देती है।
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    पवनेश मिश्रा
    02 मार्च 2021
    पुराने जमाने, पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति की तरफ़ अंधों की तरह दौड़ते समाज को बिलकुल सही तरह से आईना दिखाया है आपने आदरणीया, सादर 🙏🌹🙏,