काश संस्कार भी फैशन हो जाते । लोग सुंदर शरीर से ज्यादा सुंदर कर्मों को महत्व दे पाते। तन के कपड़े कम कर के आंचल को छोड़ करके पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करके क्या ज्यादा सम्मानित है होते ? फैशन ...
कृपया मेरी लिखी कहानियों को मुझे सूचना दिए बिना इस्तेमाल ना करें क्योंकि इनमें से अधिकतर के कॉपीराइट प्रतिलिपि के ही पास है।कृपया गूगल और यूट्यूब में देखें कहानियां यादों की
सारांश
कृपया मेरी लिखी कहानियों को मुझे सूचना दिए बिना इस्तेमाल ना करें क्योंकि इनमें से अधिकतर के कॉपीराइट प्रतिलिपि के ही पास है।कृपया गूगल और यूट्यूब में देखें कहानियां यादों की
काश संस्कार भी फैशन हो पाते बहु सुंदर शब्द संरचना ।
जड़ों को छोड़ कर पेड़ कभी नहीं पनन सकता बहुत सुंदर तुलनात्मक विचार है ।हर पंक्ति लाजवाब है आपकी ,हर पंक्ति में कुछ-न-कुछ सार छुपा है । बेहतरीन सृजन है।
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आदर सहित सादर प्रणाम है आप को प्यारी मम्मी जी।
सनातन संस्कृति संस्कारों की जननी है।
हम सभी भूल जा रहे हैं।
यही गलत है। सादर प्रणाम है आप को प्यारी मम्मी जी।
आप की बात सीख देती है।
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