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पुनरावृत्ति

4.8
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पुनरावृति डॉ अनीता पंडा, शिलांग      आकाश के विस्तार को नापती-सी महिमा की आँखें कहीं कुछ ढूंढ रहीं थीं I बीच-बीच में सफ़ेद बादलों के टुकड़ों को अगर जोड़ दें, तो शायद वह आसमान के कुछ हिस्से को ढक देगा ...

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लेखक के बारे में
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डा अनीता पंडा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashok Upadhyay
    14 सितम्बर 2020
    💯💯💯💯💯💯💖💖💖💕💕👍💞💞💞🤩🤩😍👌💓💓
  • author
    RAJANI S.K.G
    30 मई 2021
    बहुत सुन्दर ! सही निर्णय लिया महिमा ने ।
  • author
    Deepak Yadav
    13 सितम्बर 2020
    bhut khub mam 👌👌
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  • author
    Ashok Upadhyay
    14 सितम्बर 2020
    💯💯💯💯💯💯💖💖💖💕💕👍💞💞💞🤩🤩😍👌💓💓
  • author
    RAJANI S.K.G
    30 मई 2021
    बहुत सुन्दर ! सही निर्णय लिया महिमा ने ।
  • author
    Deepak Yadav
    13 सितम्बर 2020
    bhut khub mam 👌👌