pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

प्रत्यर्पण

4.7
212

हाँ ! कल छुआ था तुमने, छू लिया था ए चाँद, सागर की उन्मत लहरों को बिखेर दी थी धवल चांदनी अपनी, उस जल राशि पर, वो तिरता संगीत, तैरने लगा था फिर से उस सिन्धु में, वो तिरता संगीत, तैरने लगा था फिर से उस ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
सुमन सिन्हा

जन्म : 21 फरवरी, 1967 (गर्दनीबाग,पटना, बिहार) v शिक्षा-दीक्षा : आरंभिक शिक्षा – बी.टी.पी.एस.हाई स्कूल, बरौनी (बेगुसराय) से मध्य एवं माध्यमिक शिक्षा, मगध महिला महाविद्यालय, पटना से अंतर-स्नातक एवं स्नातक (समाजशास्त्र प्रतिष्ठा), दरभंगा हॉउस, पटना विश्वविद्यालय, पटना से स्नातकोत्तर (श्रम एवं समाज कल्याण) | v लेखन-यात्रा : सन 1980 ई. से नियमित संस्मरण एवं कविता लेखन | v अभिरुचि : सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं संगोष्ठियों में नियमित भागीदारी | v कृतियाँ : ‘प्रत्यर्पण’ (कविता संग्रह), ‘अन्तरीप’ (संस्मरण संकलन) अप्रकाशित | v संप्रति : सदस्य, सिने यात्रा पटना, बांकीपुर क्लब पटना, द न्यू पटना क्लब, बिहार महिला उद्योग संघ पटना, बतौर समाजसेविका, किलकारी पटना, पूर्व सदस्य इनर व्हील पटना एवं अन्य सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ी हुई | v आजीविका : ड्रेस डिजाईनर एवं ‘विविधा’ नामक गारमेंट्स कंपनी की संचालिका |

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sanjeeva Kumar
    22 अक्टूबर 2015
    Bahot hi achhi kavita, aapka shabd chayan evam vinnyaas bahot hi umda hai aur kavita ka vaw eik nirjhar ki tarah sadaiv prawaahit rahta hai. Eik achhi rachna ke liye dher sara dhnyawaad.  
  • author
    ज्योति खरे
    15 अक्टूबर 2015
    मन के भीतर की बैचनी को छुपा पान उचित नहीं है, संघर्ष को जीतने के लिए इसे उजागर करना पड़ता है, एक रचनाकार की बैचेनी को उजागर करती जीवट रचना  बहुत सुंदर  बधाई 
  • author
    Rahul Kumar
    14 अक्टूबर 2015
    The poetess has expressed her true feelings from the core of her heart .
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sanjeeva Kumar
    22 अक्टूबर 2015
    Bahot hi achhi kavita, aapka shabd chayan evam vinnyaas bahot hi umda hai aur kavita ka vaw eik nirjhar ki tarah sadaiv prawaahit rahta hai. Eik achhi rachna ke liye dher sara dhnyawaad.  
  • author
    ज्योति खरे
    15 अक्टूबर 2015
    मन के भीतर की बैचनी को छुपा पान उचित नहीं है, संघर्ष को जीतने के लिए इसे उजागर करना पड़ता है, एक रचनाकार की बैचेनी को उजागर करती जीवट रचना  बहुत सुंदर  बधाई 
  • author
    Rahul Kumar
    14 अक्टूबर 2015
    The poetess has expressed her true feelings from the core of her heart .