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प्रमोशन भाग 2 (✍️*सपना श्रीवास्तव)

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*गांव से शहर आते वक्त धृति बहुत खुश थी । माता-पिता उसे बार-बार शहर की ऊँच नीच समझा रहे थे । आखिर झल्ला कर वह बोल पड़ी , "मां बाऊजी आप इतनी चिंता ना करें । मैं समझती हूं शहर की आबो हवा क्या है ? ...

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लेखक के बारे में
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anshu saxena

पूर्व में प्रकाशित कई पुस्तकों की समालोचना व समीक्षा, का प्रकाशन हुआ, साथ ही साहित्य व पत्र कारिता का विधार्थी होने से लेखन से जुड़ाव, सदा से रहा।अपने भावनाओं की अभिव्यक्ति मेरी रुचि में शामिल है। हर लेख कहानी, काव्य व लेखक - लेखिका मेरे लिए सदा आदरणीय हैं।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Geeta Arya "Ahilya"
    21 सितम्बर 2025
    हमनें अभी आपके दोनों भाग पढ़े। आपकी कहानी सामाजिक है। ऐसा अक्सर होता है। लेकिन अब आप अपनी इस नायिका को कैसे इस चंगुल से निकालेंगे, यह खास जानना है हमें आपके अगले अंक में। कहानी सच में बहुत ही प्यारी है।
  • author
    Sapna Srivastava
    23 सितम्बर 2025
    wow,,,,,,,👌🏻👌🏻👌🏻 बहुत अच्छे तरीके से आपने इस कहानी का अगला भाग दिया लेकिन पाठकों को अब इसके आगे का भी भाग चाहिए 😊😊मुझे भी खुशी होगी कि आप इसका अगला भाग भी लाएं। जिस तरह से आपने मेरी कहानी को आगे बढ़ाया वह काबिले तारीफ था 👏👏👏 मैंने अपनी लघु कथा समाप्त कर दी थी लेकिन हर खत्म होती कहानी में कहीं ना कहीं एक आस रहती है और आपने यह दिखाया 🥰बहुत सुंदर कहानी और लाजवाब कड़ियों को आपने जोड़कर इसे और बेमिसाल बनाया🥰🥰 शुक्रिया कहना शायद सूर्य को दीपक दिखाने समान होगा लेकिन फिर भी हृदय की गहराइयों से आपका बहुत-बहुत आभार 🙏आपने इस कहानी का दूसरा भाग दिया अब चाहूंगी इसका तीसरा और चौथा भाग भी लाइए जिसमें धृति परेशानियों से घिरकर अंत में उस परेशानियों से निकल पाती है और अपनी गलतियों से सीख लेती है । एक बार फिर से आपको इस नायाब रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई और इस बधाई स्वरूप तो एक स्टिकर बनता ही है Big B 😊🙏
  • author
    Archana Rawat
    22 सितम्बर 2025
    आगे बढ़ने की चाह में धृति सही गलत का फासला समझ ना पाई.. जीवन में जब उम्मीद से ज्यादा मिलने लगा तो वो भी भटक गई.. वीर की बातों में आ गई और अब देखो कहाँ आ फंसी है। अब वो कैसे इस चंगुल से बाहर आती है देखते हैं। आप ने इस कहानी को फिर से आगे बढ़ाया.. ये बहुत सुंदर प्रयास है आपका.. दोनों भाग बहुत सुन्दर लिखे गए हैं। अब नए भाग का इंतजार रहेगा.. नई कहानी के लिए एक स्टिकर तो बनता है.. 👌👌💐💐😊😊💐💐
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    Geeta Arya "Ahilya"
    21 सितम्बर 2025
    हमनें अभी आपके दोनों भाग पढ़े। आपकी कहानी सामाजिक है। ऐसा अक्सर होता है। लेकिन अब आप अपनी इस नायिका को कैसे इस चंगुल से निकालेंगे, यह खास जानना है हमें आपके अगले अंक में। कहानी सच में बहुत ही प्यारी है।
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    Sapna Srivastava
    23 सितम्बर 2025
    wow,,,,,,,👌🏻👌🏻👌🏻 बहुत अच्छे तरीके से आपने इस कहानी का अगला भाग दिया लेकिन पाठकों को अब इसके आगे का भी भाग चाहिए 😊😊मुझे भी खुशी होगी कि आप इसका अगला भाग भी लाएं। जिस तरह से आपने मेरी कहानी को आगे बढ़ाया वह काबिले तारीफ था 👏👏👏 मैंने अपनी लघु कथा समाप्त कर दी थी लेकिन हर खत्म होती कहानी में कहीं ना कहीं एक आस रहती है और आपने यह दिखाया 🥰बहुत सुंदर कहानी और लाजवाब कड़ियों को आपने जोड़कर इसे और बेमिसाल बनाया🥰🥰 शुक्रिया कहना शायद सूर्य को दीपक दिखाने समान होगा लेकिन फिर भी हृदय की गहराइयों से आपका बहुत-बहुत आभार 🙏आपने इस कहानी का दूसरा भाग दिया अब चाहूंगी इसका तीसरा और चौथा भाग भी लाइए जिसमें धृति परेशानियों से घिरकर अंत में उस परेशानियों से निकल पाती है और अपनी गलतियों से सीख लेती है । एक बार फिर से आपको इस नायाब रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई और इस बधाई स्वरूप तो एक स्टिकर बनता ही है Big B 😊🙏
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    Archana Rawat
    22 सितम्बर 2025
    आगे बढ़ने की चाह में धृति सही गलत का फासला समझ ना पाई.. जीवन में जब उम्मीद से ज्यादा मिलने लगा तो वो भी भटक गई.. वीर की बातों में आ गई और अब देखो कहाँ आ फंसी है। अब वो कैसे इस चंगुल से बाहर आती है देखते हैं। आप ने इस कहानी को फिर से आगे बढ़ाया.. ये बहुत सुंदर प्रयास है आपका.. दोनों भाग बहुत सुन्दर लिखे गए हैं। अब नए भाग का इंतजार रहेगा.. नई कहानी के लिए एक स्टिकर तो बनता है.. 👌👌💐💐😊😊💐💐