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प्रिय बच्चे

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प्रिय बच्चे शुभाशीष तुम्हे जब यह पत्र मिलेगा तो तुम्हे अचरज तो जरूर होगा। अचंभित तो मैं भी हूँ मैंने कभी सोचा नहीं था कि कभी ऐसा दिन आएगा कि तुम्हे पत्र लिखना पड़ेगा। अब तक हजारों लाखों वर्षों ...

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लेखक के बारे में
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कविता वर्मा

मैं इंदौर से कविता वर्मा कहानियाँ कविताएँ उपन्यास लेख लिखती हूँ। मुझे लघुकथा बाल साहित्य और कहानी संग्रह के लिए अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुके हैं और अभी मध्यप्रदेश का प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान वागीश्वरी पुरस्कार मेरे कहानी संग्रह कछु अकथ कहानी को मिला है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    रीता गुप्ता
    26 अप्रैल 2016
    पत्र  के  जरिये इश्वर  का  संवाद बहुत  खूब. एक  समझाइश  एक  चेतावनी . बहुत  ही  सार्थक  पत्र आपने  लिखा  है  कविता जी.
  • author
    Lakhan Singh Bisht
    08 मई 2016
    It is an good efforts to write on nature's cry in the form of letter. interesting way of writing.
  • author
    ज्योति खरे
    04 मई 2016
    जीवन को किस तरह जिया जाए और किस तरह उसे बेहतर बनाया जाय, पत्र के माध्यम से सचेत करती अभिव्यक्ति.बहुत सार्थक पहल है बधाई
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    रीता गुप्ता
    26 अप्रैल 2016
    पत्र  के  जरिये इश्वर  का  संवाद बहुत  खूब. एक  समझाइश  एक  चेतावनी . बहुत  ही  सार्थक  पत्र आपने  लिखा  है  कविता जी.
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    Lakhan Singh Bisht
    08 मई 2016
    It is an good efforts to write on nature's cry in the form of letter. interesting way of writing.
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    ज्योति खरे
    04 मई 2016
    जीवन को किस तरह जिया जाए और किस तरह उसे बेहतर बनाया जाय, पत्र के माध्यम से सचेत करती अभिव्यक्ति.बहुत सार्थक पहल है बधाई