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|| प्रेत सिद्धि || भाग -१ ||

4.6
886

२००७, ****** और फिर जब मैं एक बार गंगा जी के किनारे बैठा हुआ माला फेर रहा था, गंगा जी का जल हल्का हल्का तरंगायमान हो रहा था। तभी मेरी दृष्टि अपने से लगभग 20 मीटर दूर गंगा जी किनारे पर पड़ी । ...

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लेखक के बारे में
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Dr.Himanshu Gaur

साहित्य, संगीत और कला में लगे रहना मनुष्य की पहचान है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Hemant Vyas
    28 अगस्त 2022
    dharmik saktio ka aabhash hota he
  • author
    Manish Tiwari
    01 जून 2022
    jjgfkl
  • author
    Prem Saini "अज्ञान"
    29 नवम्बर 2020
    👌👌👌👌👌
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  • author
    Hemant Vyas
    28 अगस्त 2022
    dharmik saktio ka aabhash hota he
  • author
    Manish Tiwari
    01 जून 2022
    jjgfkl
  • author
    Prem Saini "अज्ञान"
    29 नवम्बर 2020
    👌👌👌👌👌