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"क्या बना रही हो ?" एक हाथ कमर पर और दूसरा हवा में नाचते हुए भाभी ने पूछा | "ग्वार की फली |" आदतानुसार नेहा ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया | "देवर जी नहीं खायेंगे ये डंगरों वाली सब्जी ,....पहले ही ...

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लेखक के बारे में
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संध्या बक्शी

किताबें क्या लिखें , और क्या जोड़ें, काव्यांश में , कहानी मेरी ,सिमट गई ,'भूमिका' और 'सारांश' में !

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    डॉ. प्रवीण पंकज
    16 अप्रैल 2019
    ऐसी घटनाएं आये दिन परिवार में घटती रहती हैं,इस कारण यह कहानी बहुत ही शिक्षाप्रद है।मुझे भाभी का चरित्र बहुत अच्छा लगा।मेरे विचार में रिश्ते बहुत संवेदनशील होते हैं और इनको स्वस्थ बनाए रखने के लिए बुद्धि की नहीं हृदय की आवश्यकता होती है।क्योंकि हृदय समर्पण है और समर्पण रिश्तों की अनिवार्यता।यह कहानी जितने लोग पढ़ें,उतना अच्छा हो।इसे प्रतिलिपि पर प्रकाशित करने के लिए आभार और बधाई सहित ढेड़ सारी शुभकामनाएं।
  • author
    navneeta chourasia
    08 फ़रवरी 2021
    सामंजस्य और तालमेल के द्वारा किस तरह पारिवारिक रिश्तो में प्यार स्नेह और एकता को बरकरार रखा जा सकता है आप की कहानी में यह मूल भाव पूरी सच्चाई के साथ दृष्टिगोचर हो रहा है। मैंने दैनिक भास्कर मधुरिमा में यह कहानी जब पढ़ी थी तो इसकी कटिंग काट कर रख ली थी ताकि इसे बार-बार पढ़ने का सुख हासिल कर सकूं। अब प्रतिलिपि पर आपके रचना संसार को पाकर अभिभूत हूं। अनंत साधुवाद 🙏🏻😊🌷
  • author
    AnshuPriya Agrawal
    29 अप्रैल 2020
    बहुत ही समझदारी की बातें सिखाती हुए कहानी👌👌👌 रिश्तो पर छोटी-छोटी बातों पर तिल का ताड़ बनाने से रिश्ते नहीं बड़े होते दरार ही पड़ जाते हैं इस बात को बहुत ही सार्थकता से कहानी में बतलाई गई है💐💐💐 कहानी को 5 star और दिए जाए तो भी कम है बहुत ही सुंदर कहानी
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    डॉ. प्रवीण पंकज
    16 अप्रैल 2019
    ऐसी घटनाएं आये दिन परिवार में घटती रहती हैं,इस कारण यह कहानी बहुत ही शिक्षाप्रद है।मुझे भाभी का चरित्र बहुत अच्छा लगा।मेरे विचार में रिश्ते बहुत संवेदनशील होते हैं और इनको स्वस्थ बनाए रखने के लिए बुद्धि की नहीं हृदय की आवश्यकता होती है।क्योंकि हृदय समर्पण है और समर्पण रिश्तों की अनिवार्यता।यह कहानी जितने लोग पढ़ें,उतना अच्छा हो।इसे प्रतिलिपि पर प्रकाशित करने के लिए आभार और बधाई सहित ढेड़ सारी शुभकामनाएं।
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    navneeta chourasia
    08 फ़रवरी 2021
    सामंजस्य और तालमेल के द्वारा किस तरह पारिवारिक रिश्तो में प्यार स्नेह और एकता को बरकरार रखा जा सकता है आप की कहानी में यह मूल भाव पूरी सच्चाई के साथ दृष्टिगोचर हो रहा है। मैंने दैनिक भास्कर मधुरिमा में यह कहानी जब पढ़ी थी तो इसकी कटिंग काट कर रख ली थी ताकि इसे बार-बार पढ़ने का सुख हासिल कर सकूं। अब प्रतिलिपि पर आपके रचना संसार को पाकर अभिभूत हूं। अनंत साधुवाद 🙏🏻😊🌷
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    AnshuPriya Agrawal
    29 अप्रैल 2020
    बहुत ही समझदारी की बातें सिखाती हुए कहानी👌👌👌 रिश्तो पर छोटी-छोटी बातों पर तिल का ताड़ बनाने से रिश्ते नहीं बड़े होते दरार ही पड़ जाते हैं इस बात को बहुत ही सार्थकता से कहानी में बतलाई गई है💐💐💐 कहानी को 5 star और दिए जाए तो भी कम है बहुत ही सुंदर कहानी