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प्रेम (समझना मुश्किल था )

4.1
8389

किरदार -१-अनिल २- सोनम समय - बचपने से उभर के जवानी के लड़कपने में कदम रखती ज़िंदगी स्थान - लखनऊ , (रूरल ) मध्यम वर्गीय स्कूल , (धुंधली यादो के बीच हिमेश रेशमियां के गानो का वक़्त ही रहा होगा शायद ) मै ...

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लेखक के बारे में
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अंकित सिंह

मेरे इरादे ना परख किस्मत मैं निकला ही फतह करने हूँ

समीक्षा
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  • author
    Juhi Sharma
    15 जून 2019
    sach yhi hai ki kabhi kabhi koi kisi ek k hi intjar me rah jata hai ,to koi aage badh jata hai .par intjar karne Wale ka Dard koi nhi Jan pata ki kisi or Ko apna lena itna asan nhi hota. Mujhe is kahani k agle bhag ka intjar rahega.
  • author
    Geetanjali Geetanjali
    14 जून 2019
    प्रेम को समझना सच में बहुत कठिन है। कहानी बहुत शानदार है न जाने कितने कहे अनकहे किस्से याद आ गये। बहुत बहुत बधाई आपको
  • author
    Sumit Khushlani
    15 जून 2019
    प्यार मे हिम्मत और सब्र होना जरूरी है. Salute Sonam. एक लड़की होकर भी उसने wait किया.
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    Juhi Sharma
    15 जून 2019
    sach yhi hai ki kabhi kabhi koi kisi ek k hi intjar me rah jata hai ,to koi aage badh jata hai .par intjar karne Wale ka Dard koi nhi Jan pata ki kisi or Ko apna lena itna asan nhi hota. Mujhe is kahani k agle bhag ka intjar rahega.
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    Geetanjali Geetanjali
    14 जून 2019
    प्रेम को समझना सच में बहुत कठिन है। कहानी बहुत शानदार है न जाने कितने कहे अनकहे किस्से याद आ गये। बहुत बहुत बधाई आपको
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    Sumit Khushlani
    15 जून 2019
    प्यार मे हिम्मत और सब्र होना जरूरी है. Salute Sonam. एक लड़की होकर भी उसने wait किया.