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प्रेम परीक्षा....

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कितनी दे प्रेम परीक्षा बाबुल का घर छुटा बचपन भी अब तो रूठा बसा रखा था स्वप्न सलोना वो भी निकला सारा झूठा ...

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लेखक के बारे में

मैं पेशे से एडवोकेट हूँ पर पढ़ना और लिखना मेरा शौक है......प्रतिलिपि एक ऐसा माध्यम है जिसकी वजह से मैं अपने मन कि भावनाओं को रचनाओं के द्वारा लोगो तक पंहुचा सकती हूँ..... मेरी सभी रचनाएँ स्वरचित और मौलिक है और सर्वाधिकार सुरक्षित है ll तथा कॉपी राइट एक्ट के अंतर्गत प्रस्तावित है l अन्यथा की स्थिति मे हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में कार्यवाही की जाएगी..l सुषमा सिंह (एडवोकेट )

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Mohan
    03 दिसम्बर 2022
    वाह बहुत ही लाजवाब कविता
  • author
    03 दिसम्बर 2022
    तन मन दे दिया सात जन्म दे दिया अब अगर तुम्हें चाहिए तो लो प्रेम परीक्षा भी तुम्हें दे दिया.... 🙏🙏 पति पत्नि के बुनियादी रिश्ते बनाम प्रेम परीक्षा.... बहुत सुन्दर प्रस्तुति ❤️❤️🌺🌿
  • author
    संतोष नायक
    03 दिसम्बर 2022
    ' आज के विषय'पर बहुत बहुत अच्छी व भावपूर्ण रचना लिखी है आपने।भावनाओं की अभि व्यक्ति के लिए शब्दों का चयन बहुत ही अच्छा लगा।
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    Rakesh Mohan
    03 दिसम्बर 2022
    वाह बहुत ही लाजवाब कविता
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    03 दिसम्बर 2022
    तन मन दे दिया सात जन्म दे दिया अब अगर तुम्हें चाहिए तो लो प्रेम परीक्षा भी तुम्हें दे दिया.... 🙏🙏 पति पत्नि के बुनियादी रिश्ते बनाम प्रेम परीक्षा.... बहुत सुन्दर प्रस्तुति ❤️❤️🌺🌿
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    संतोष नायक
    03 दिसम्बर 2022
    ' आज के विषय'पर बहुत बहुत अच्छी व भावपूर्ण रचना लिखी है आपने।भावनाओं की अभि व्यक्ति के लिए शब्दों का चयन बहुत ही अच्छा लगा।