जो ख्वाब नासमझी में यूं ही कभी देखे गए थे,
जज्बातों की आंच में धीमे धीमे सेंके गए थे।
आज समेट ली है खामोशी मेरी उन पन्नों ने खामोशी से लेकिन,
उलझन भरे वो कागज कई मर्तबा फेंकेगए थे।
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बचपन से अवचेतन मन में कुछ सपने पल गए थे लेकिन उनको पूरा करना तो दूर परिस्थितियों और जीवन की व्यस्तताओं ने उनसे ही दूर कर दिया।अब होश आया तो लगा कि बहुत जी लिए अब बस "जीना" है।
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शुरू से ही अच्छा लेखन बहुत प्रभावित करता है।
पढ़ना - पढ़ाना,लिखना और फोटोशूट कराना,रिएलिटी शो तथा फिल्में देखना ,घूमना बहुत पसंद है।
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रिपोर्ट की समस्या
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