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प्रेम और संस्कृत साहित्य

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संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये, तेरा मेरा हो मेल प्रिये। मैं अभिज्ञान का दुष्यन्त हूँ, तो तुम शकुंतला प्राणप्रिये, मैं भवभूति का राम बनूँ, तो तुम सीता हो प्राणप्रिये। जो मैं किरात का अर्जुन हूँ, तो तुम ...

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समीक्षा
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    Monarani
    15 अक्टूबर 2024
    बहुत ही अच्छा लिखा आपने 👏👏। संस्कृत साहित्य की रचनाओं की याद दिला दी आपने 👏👏
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    Monarani
    15 अक्टूबर 2024
    बहुत ही अच्छा लिखा आपने 👏👏। संस्कृत साहित्य की रचनाओं की याद दिला दी आपने 👏👏