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प्रेम और देह

3.9
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गर प्रेम अथाह सागर है तो निःसंदेह देह एक कश्ती। सच्चे तैराकों को भला कश्ती की क्या ज़रूरत? जिन्हे तैरना नहीं आता वो डूबना जानते है! जो डूबना जानते हैं, प्रेम उबारता है उसको। डूबते-उबरते वो सीख जाते ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shailendra Mishra
    26 जुलाई 2020
    अति भव्य रचना अछि।
  • author
    jai"nadan "
    23 अप्रैल 2023
    दैहिक प्रेम का दैहिक सीमांकन
  • author
    Yash Rathaur
    15 मार्च 2021
    बहुत खूबसूरत रचना है
  • author
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  • author
    Shailendra Mishra
    26 जुलाई 2020
    अति भव्य रचना अछि।
  • author
    jai"nadan "
    23 अप्रैल 2023
    दैहिक प्रेम का दैहिक सीमांकन
  • author
    Yash Rathaur
    15 मार्च 2021
    बहुत खूबसूरत रचना है