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प्रायश्चित

4.6
46027

संध्या की बेला काटना शिल्पा के लिए पिछले दो सालों से दुखद अहसास हो गया था। अपने पति प्रतीक को उसने कितनी बार कहा छः साढ़े छः बजे तक आ जाया करें, लेकिन नौ बजे से पहले वह नहीं आता था। बाजार में ...

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लेखक के बारे में
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सीमा जैन

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समीक्षा
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  • author
    Neha Nama
    15 जून 2021
    पराई स्त्री से संबंध आदमी बनाये और नाम अपने depression का दे,ये बात मुझे समझ में नहीं आ रही हैं।अगर ऐसा wife करे तो क्या पराई औलाद को अपनाना आदमी के लिये natural होना चाहिए, लेकिन समाज में ऐसा होता नही हैं any way nice story ... aise hi likhte rahe
  • author
    Sumit Khushlani
    13 दिसम्बर 2019
    Nice. but galti agar prateek ki nahi thi to suman ki bhi nahi thi aur agar thi to dono ki hi thi.
  • author
    23 अप्रैल 2021
    कहानी अच्छी है। गलती का प्रायश्चित भी है लेकिन गलती करने से पहले सोचना विचारना चाहिए था। चरित्र हीन का कलंक और आत्म ग्लानि स्वयं सुमन और प्रतीक दोनों को ही भोगने पड़े। काश! बुद्धि और विवेक से काम लिया होता। यही शक्ति तो मनुष्य को प्राप्त है फिर भी उपयोग नहीं करता है।
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    Neha Nama
    15 जून 2021
    पराई स्त्री से संबंध आदमी बनाये और नाम अपने depression का दे,ये बात मुझे समझ में नहीं आ रही हैं।अगर ऐसा wife करे तो क्या पराई औलाद को अपनाना आदमी के लिये natural होना चाहिए, लेकिन समाज में ऐसा होता नही हैं any way nice story ... aise hi likhte rahe
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    Sumit Khushlani
    13 दिसम्बर 2019
    Nice. but galti agar prateek ki nahi thi to suman ki bhi nahi thi aur agar thi to dono ki hi thi.
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    23 अप्रैल 2021
    कहानी अच्छी है। गलती का प्रायश्चित भी है लेकिन गलती करने से पहले सोचना विचारना चाहिए था। चरित्र हीन का कलंक और आत्म ग्लानि स्वयं सुमन और प्रतीक दोनों को ही भोगने पड़े। काश! बुद्धि और विवेक से काम लिया होता। यही शक्ति तो मनुष्य को प्राप्त है फिर भी उपयोग नहीं करता है।