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प्रतिलिपि लेखनी के मई अंक का सम्पादकीय

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हाहाकार - धू - धू कर जलता धरती का तन -मन ; सूखा ; चाक - चाक हुआ किसान का कलेजा ; पानी की किल्लत -- आज का परिदृश्य मन में एक साथ कई प्रश्न और दुःख की सृष्टि कर जाता है | सूखा - क्या सिर्फ धरती का सूखा ...